चीन में लंबे समय रह कर स्वास्थ्य सेवाएं देने वाले और चीन पर आक्रमण के दौरान चीनी सैनिकों की सेवा-सुश्रुषा करने वाले डॉ. कोटनीस की बहन मनोरमा कोटनीस मुंबई में रहती थीं। उनके अवदान को याद रखते हुए चीनी नेताओं ने पुरानी परंपरा का पालन किया और सन 2013 में भारत आए चीनी प्रधानमंत्री ली क्विंग ने मनोरमा के साथ मुलाकात की थी।
मनोरमा कोटनीस पेशे से आहार विशेषज्ञ थीं। उन्होंने भारत सरकार के साथ काम किया था। मनोरमा से मुलाकात के दौरान खुशी का इजहार करते हुए प्रधानमंत्री ली ने उस समय मनोरमा के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी और कहा था कि भारत की यात्रा के दौरान सभी चीनी नेता कोटनिस परिवार से मिलने आते हैं।
मनोरमा की सुनने की क्षमता दिनोंदिन कम होते जाने के बावजूद ली ने उन्हें एक एमपी 4 प्लेयर उपहार में दिया था क्योंकि वह बेहद संगीत प्रेमी थीं। उन्होंने परिवार को बताया था कि उनका देश अभी भी डॉक्टर द्वारकानाथ कोटनीस और चीन के प्रति उनकी सेवा को याद करता है। द्वारकानाथ ने 1937-45 के बीच में जापानी आक्रमण के दौरान संकट के समय चीन की मदद की थी। पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने एजेंसी भाषा को बताया कि मनोरमा ने अपने दिवंगत भाई के समाजिक कार्य की विरासत को आगे बढ़ाया।
दिलचस्प बात यह है कि 28 साल की उम्र में अपने चिकित्सा दल के साथ कोटनीस सितंबर 1938 में चीन के दौरे पर गए थे और 2013 में इस घटना के 75 साल पूरा हुए हैं। ली ने बताया कि कैसे कोटनीस अभी भी भारत-चीन मैत्री के प्रतीक माने जाते हैं और किस तरह से विभिन्न स्मारकों और यादगार के माध्यम से उनकी कहानियों को जीवित रखने के लिए उन्हें सम्मानित किया गया।
चीन ने कोटनीस की याद में शहीद स्मारक बनाया है और 1982 में उन पर फिल्म भी बनाई गई थी। ली से पहले चीन के पूर्व प्रधानमंत्री चाउ एन लाई ने भी सन 1950 में और उसके बाद राष्ट्रपति जियांग जेमिन ने 1996 में कोटनीस के परिवार के साथ मुलाकात की थी। सन 2012 में कोटनीस की एक और बहन वत्सला का भारत में और उनकी विधवा ग्युओ क्विंगलान का चीन में निधन हो गया था।