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किसान आंदोलन: ट्रैक्टर मार्च में पंजाब-हरियाणा के गांव-गांव का प्रतिनिधित्व; बनेगा विश्व रिकॉर्ड?

केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध में  गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली में किसान एक नया विश्व रिकॉर्ड...
किसान आंदोलन: ट्रैक्टर मार्च में पंजाब-हरियाणा के गांव-गांव का प्रतिनिधित्व; बनेगा विश्व रिकॉर्ड?

केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध में  गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली में किसान एक नया विश्व रिकॉर्ड कायम करने जा रहे हैं। आज किसानों की ट्रैक्टर परेड गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में एक नया कीर्तिमान स्थापित कर सकती है। किसान संगठनों के दावे अनुसार इस परेड में एक लाख से अधिक ट्रैक्टर शामिल होंगे तो वर्ल्ड रिकॉर्ड बनना तय है। इससे पहले कनाडा के ओंटेरियो में 24 जुलाई 2010 को कनेडियन कैंसर सोसायटी द्वारा अायोजित ट्रैक्टर परेड में 1231 ट्रैक्टर शामिल हुए थे। आज की ट्रैक्टर परेड में पंजाब,हरियाणा,यूपी,राजस्थान और उत्तराखंड के किसान हजारां ट्रैक्टरों के साथ शामिल होने के लिए दिल्ली के लिए कूच कर रहे हैं। किसान गणतंत्र परेड में ट्रैक्टरों पर सवार लाखों किसान दिल्ली के चारों ओर करीब 100 किलोमीटर का रास्ता तय करने की तैयारी में हैं। बताया गया था कि परेड में सबसे आगे शामिल 200 ट्रैक्टरों की ड्राइवर सीटों पर महिलाएं होंगी जिन्हें पिछले एक महीने से ट्रैक्टर चलाने की ट्रेनिंग दी जा  रही थी।

  परेड के लिए पुलिस ने तीन रूटों पर अनुमति दी है।  दिल्ली पुलिस ने सिंघु बॉर्डर से खरखौदा टोल प्लाजा का रूट परेड के लिए कहा था पर यह रूट 63 किलोमीटर का है जबकि किसान संगठन दिल्ली के आउटर रिंग रोड पर करीब 100 किमी तक ट्रैक्टर परेड निकालना चाहते हैं।

 किसान करीब एक महीने से ट्रैक्टर परेड की तैयारियां कर रहे हैं। पंजाब के कई शहरों और गांवों में इसकी रिहर्सल की जा रही है। पंजाब के कई जिलों से किसान ट्रैक्टर लेकर दिल्ली के लिए रवाना हो रहे हैं।

   हालांकि किसान शांतिपूर्ण ढंग से ट्रैक्टर मार्च निकालने की तैयारी में हैं फिर भी पुलिस से किसी तरह के टकराव से बचने के लिए किसानों ने ट्रैक्टरों को फाइबर शीट से कवर किया है, ताकि आंसू गैस और वाटर कैनन से बचा जा सके। जालंधर के लाडोवाल से दिल्ली के लिए कूच करने वाले गुरपाल सिंह और उनके साथियों ने अपने 20 ट्रैक्टरों को दिल्ली ले जाने के लिए 30 फीट लंबी 10 विशेष ट्रालियां तैयार करवाईं। ऐसी ट्रालियों में दो ट्रैक्टर लोड करके लाए गए हैं। एक ट्रैक्टर के साथ टो करके भी कई ट्रैक्टर लाए गए हैं। मकसद डीजल का खर्च बचाना है। एक ट्रैक्टर को जालंधर से दिल्ली आने जाने में करीब 12 से 15 हजार रुपए का डीजल लगता है। ऐसा करने से एक ट्रैक्टर के डीजल के खर्च में चार-पांच ट्रैक्टर आ जाते हैं। सिंघु बॉर्डर पर लोग पंजाब से ट्रैक्टरों के साथ-साथ जेसीबी और फसल काटने वाली कंबाइन मशीन भी लेकर पहुंच रहे हैं, ताकि किसानों के जमावड़े के चारों तरफ एक सुरक्षित घेरा बनाया जा सके। ट्रकों से भी बड़ी संख्या में किसान दिल्ली बॉर्डर पर पहुंच रहे हैं। ट्रकों की बॉडी को दो भागों में बांटकर उसे ही अपना रहने का ठिकाना बना लिया गया है ताकि बरसात और ठंड से बचा जा सके।

  किसान नेता सतनाम सिंह पन्नू ने कहा ट्रैक्टर परेड में शामिल होने के लिए पंजाब से हजारों की संख्या में किसान ट्रैक्टर लेकर दिल्ली रवाना हो चुके हैं। सरकार जब तक तीनों कृषि कानून रद्द नहीं करती है, तब तक वापस पंजाब नहीं जाएंगे।' भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के वॉलंटियर हरप्रीत सिंह ट्रैक्टर रैली की तैयारियों में जुटे हैं। 30 साल के हरप्रीत कहते हैं, 'हमारे ट्रैक्टरों पर आगे भारत का तिरंगा लहरा रहा होगा। ये उन लोगों के लिए जवाब होगा, जो हमें खालिस्तानी और देश विरोधी कह रहे हैं।' भारतीय किसान यूनियन एकता (डाकौंडा) के अध्यक्ष बूटा सिंह बुर्जगिल कहते हैं, हिंसा इस आंदोलन को कमजोर कर सकती है इसलिए हमारी पूरी कोशिश है कि आंदोलन शांतिपूर्ण बना रहे।'

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