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फिर 'महापलायन' की आहट: श्रमिकों में खौफ, दिल्ली से लेकर चेन्नई तक महानगर छोड़ने के लिए उमड़ी भीड़

कोरोना वायरस के प्रसार के बीच सख्त लॉकडाउन की शंकाओं ने एक बार फिर मजदूरों के लिए संकट पैदा कर दी है।...
फिर 'महापलायन' की आहट: श्रमिकों में खौफ, दिल्ली से लेकर चेन्नई तक महानगर छोड़ने के लिए उमड़ी भीड़

कोरोना वायरस के प्रसार के बीच सख्त लॉकडाउन की शंकाओं ने एक बार फिर मजदूरों के लिए संकट पैदा कर दी है। पिछले साल की स्थिति से वाकिफ श्रमिक दिल्ली, चेन्नई, मुंबई जैसे महानगरों से अपने गृह राज्य बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, राजस्थान की ओर लौट रहे हैं।

दिल्ली सरकार की ओर से एक सप्ताह के लिए लॉकडाउन लगाने की घोषणा के बाद मंगलवार को यहां बस स्टेशनों पर बड़ी संख्या में लोग शहर छोड़ने के लिए इकट्ठा हुए। उन्हें डर है कि अगर देशव्यापी लॉकडाउन होता है तब पिछले साल की तरह उन्हें सैकड़ों किलोमीटर चलने के लिए उन्हें मजबूर होना पड़ जाएगा। पिछले साल, सैकड़ों प्रवासी मजदूर लॉकडाउन के दौरान सार्वजनिक परिवहन के अभाव में शहर से पैदल ही अपने घर की ओर निकल पड़े थे।

राजीव चौक, सेक्टर -12, सेक्टर -34, खंडा और सेक्टर -37 बस स्टेशनों पर बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों सहित सैकड़ों लोग मंगलवार को अपने सामानों के साथ अपने घर और रोजगार छोड़कर अपने गृहराज्य जाते दिखे। बस स्टैंड पर बस का इंतजार कर रहे एक प्रवासी मजदूर राम लाल ने बताया, "मैं लॉकडाउन के कारण बिहार में अपने गांव जा रहा हूं। गरीब आदमी कैसे किराया दे सकता है और बिना कमाई के बच सकता है। हमारी कंपनी के कर्मचारी घर से काम कर रहे हैं लेकिन हम मजबूर हैं। हमारे पास ऐसी कोई सुविधा नहीं है। हमारी कंपनी बंद हो गई है। मुझे अपने परिवार का ख्याल रखना है। मैं अब यहां वापस नहीं आऊंगा। "

एक अन्य प्रवासी मजदूर तुलसी कुमार ने बताया, "मैं उत्तर प्रदेश में अपने गांव जा रहा हूं। लॉकडाउन के बाद काम बंद हो जाएगा, फिर मैं अपना और अपने परिवार का ख्याल कैसे रखूंगा। स्थिति सामान्य होने के बाद मैं वापस आऊंगा।" मजदूरों को शहर भर में कई बस स्टॉप पर देखा जा सकता है। सेक्टर -12 बस स्टॉप पर, जहां दिल्ली में लॉकडाउन से पहले मध्य प्रदेश की ओर केवल एक बस जाती है, अब लॉकडाउन के बाद चार बसें मध्य प्रदेश के लिए जा रही हैं।


दे रहे भारी भरकम किराया

रावल सिंह ने बताया, "हम अपने गंतव्य के लिए 3,000 रुपये से 4,000 रुपये का भुगतान कर रहे हैं, जो एक बड़ी राशि है, लेकिन हमारे पास इस राशि का भुगतान करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है क्योंकि मैं बिना किसी काम के यहां रहने के बजाय किसी भी कीमत पर अपने मूल स्थान तक पहुंचना चाहता हूं।" उनकी तरह, शहर के विभिन्न हिस्सों से कई अन्य लोग बस स्टैंड की ओर जा रहे हैं, जहां से वे अपने गांवों के लिए बस पकड़ेंगे। हालांकि, उनमें से अधिकांश ने कहा, इस बार कोरोना डर उनके दिमाग में नहीं है, उनके दिमाग में एकमात्र बात यह है कि बिना पैदल चलकर घर कैसे पहुंचें।


अनुरोध के बावजूद श्रमिक रुकने के लिए तैयार नहीं

हरियाणा सरकार, दिल्ली सरकार लगातार श्रमिकों को रुकने की अपील कर रही हैं। मगर श्रमिकों का पलायन जारी है। ऐसा अनुमान है कि गुरुग्राम के लगभग 20 फीसदी मजदूर जिले छोड़ चुके हैं।एक ऑटोमोबाइल इकाई के मालिक अमन खन्ना ने बताया, "कोविड -19 मामलों में वृध्दि हमारे लिए एक चिंताजनक विषय है, लेकिन दिल्ली में तालाबंदी से श्रमिकों को डर है कि हमारे अनुरोध के बावजूद वे यहां रहने के लिए तैयार नहीं हैं। इससे उद्योगों पर बहुत असर पड़ेगा। सैकड़ों श्रमिक पहले ही शहर छोड़ चुके हैं। उद्योगों को अब श्रम संकट का सामना करना पड़ रहा है। "

दक्षिणी रेलवे चलाएगी स्पेशल ट्रेनें

दक्षिण भारत से भी मजदूर अपने घर की ओर लौट रहे हैं। लिहाजा दक्षिण रेलवे विशेष ट्रेनों को चलाएगा या मौजूदा ट्रेनों में अतिरिक्त कोच जोड़ेगा ताकि घर जाने के इच्छुक प्रवासी श्रमिकों की भीड़ साफ हो सके। मुख्य जनसंपर्क अधिकारी बी गगनेसन ने बताया, "हम जल्द ही विल्लुपुरम से पुरुलिया और गोरखपुर के लिए दो विशेष ट्रेनें चलाने जा रहे हैं। इसी तरह, हम भीड़ के आधार पर अतिरिक्त कोच संलग्न करेंगे।" उन्होंने कहा कि दो अतिरिक्त कोच हाल ही में अल्लेप्पी-धनबाद एक्सप्रेस से जुड़े थे, जो चेन्नई से होकर पुरैची थलाइवर डॉ एमजीआर सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर चलती है या जिसे सेंट्रल स्टेशन के नाम से जाना जाता है।उन्होंने कहा कि इस बार घर वापस जाने वाले प्रवासी कामगारों की तुलना पिछले साल की तुलना में नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि अब ट्रेनें विभिन्न गंतव्यों के लिए चल रही हैं और जिन लोगों के टिकट कंफर्म है वे ट्रेनों में सवार हो सकते हैं। बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक सेंट्रल स्टेशन पर एकत्र हुए हैं और उनमें से कई घर वापस जाना चाहते हैं।

राहुल प्रियंका ने की ये मांग

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि कोरोना वायरस संकट के चलते शहरों से पलायन कर रहे प्रवासी मजदूरों के बैंक खातों में पैसे डालने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है। पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने भी कहा कि गरीबों, श्रमिकों और रेहड़ी-पटरी वालों को नकद मदद दी जानी चाहिए। राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘प्रवासी मजदूर एक बार फिर पलायन कर रहे हैं। ऐसे में केंद्र सरकार की ज़िम्मेदारी है कि उनके बैंक खातों में रुपये डाले जाएं। लेकिन कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने के लिए जनता को दोष देने वाली सरकार क्या ऐसा जन सहायक क़दम उठाएगी?’’ प्रियंका ने ट्वीट कर कहा, ‘‘ कोविड महामारी की भयावहता देखकर यह तो स्पष्ट था कि सरकार को लॉकडाउन जैसे कड़े कदम उठाने पड़ेंगे, लेकिन प्रवासी श्रमिकों को एक बार फिर उनके हाल पर छोड़ दिया गया। क्या यही आपकी योजना है? नीतियां ऐसी हों जो सबका ख्याल रखें।’’ उन्होंने सरकार से आग्रह किया, ‘‘ गरीबों, श्रमिकों, रेहड़ी वालों को नकद मदद वक्त की मांग है। कृपया यह करिए।’’

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