मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति दीपा शर्मा की पीठ ने कहा कि अदालत केन्द्रीय सूचना आयोग में रिक्तियों को भरने के बारे में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा की जाने वाली प्रगति की निगरानी करेगी। इससे पहले अतिरिक्त सालिसीटर जनरल संजय जैन ने एक हलफनामा दाखिल करते हुए नियुक्तियों के बारे में अंतिम फैसले के लिए 12 हफ्ते का समय मांगा।
पीठ की राय थी कि यदि उसने केन्द्र के हलफनामे पर विचार करते हुए मामले को बंद कर दिया तो ऐसा हो सकता है कि यह काम नहीं किया जाए। पीठ ने कहा, एएसजी ने कहा है कि पदों को भरने के लिए शीघ्रता से कदम उठाए जाएंगे। पदों को भरने के लिए कदमों की अदालत द्वारा निगरानी किया जाना अनिवार्य है। उसने कहा, मामले को 11 मई 2015 के लिए सूचीबद्ध कर दीजिए। तब तक कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग प्रगति रिपोर्ट देगा जो वह गुरुवार को दाखिल किए गए हलफनामे के संदर्भ में करेगा।
केन्द्र ने यह हलफनाम गुरुवार को इसलिए दाखिल किया क्योंकि अदालत ने बुधवार को एक जनहित याचिका पर उसे ऐसा करने का आदेश दिया था। अदालत ने यह आदेश आरटीआई कार्यकर्ता आर के जैन, लोकेश के बत्रा और सुभाष चन्द्र अग्रवाल की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया था। याचिका में आरोप लगाया गया है कि केन्द्रीय सूचना आयोग द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय को परेशानी भरे दो पत्र लिखे जाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई है।