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कहानी फिल्मी है, हादसे में गई याद्दाश्त हादसे में ही लौटी

सड़क हादसे में याद्दाश्त खो चुके सेना के एक जवान को मृत मान कर उसकी पत्नी के लिए पेंशन शुरू कर दी गई लेकिन सात साल बाद एक अन्य सड़क हादसे ने जवान की याद्दाश्त लौटा दी। आज वह जवान अपने परिवार के साथ है और उसके घर पर त्यौहार जैसा माहौल है।
कहानी फिल्मी है, हादसे में गई याद्दाश्त हादसे में ही लौटी

वाकया है भारतीय सेना की 66 आर्म्ड रेजिमेंट के जवान धर्मवीर यादव का। यादव ने वर्ष 2009 में एक सड़क हादसे में अपनी याददाश्त खो दी लेकिन पिछले दिनों हरिद्वार में उसके साथ हुए एक मामूली सड़क हादसे के बाद उनकी याददाश्त वापस आ गई। सात साल बाद खोई याददाश्त फिर लौटने पर वह अपने घर आए जहां बहुत कुछ बदल चुका था। सेना ने अपने जवान धर्मवीर यादव को मृत घोषित कर उनकी पत्नी के नाम पेंशन तक आरंभ कर दी थी।

धर्मवीर के पिता और सेना के सेवानिवृत्त सूबेदार कैलाश यादव ने आज पीटीआई भाषा को बताया कि मेरा पुत्र धर्मवीर अप्रैल 1994 में सेना में 66 आर्म्ड रेजिमेंट में जवान नियुक्त हुआ। देहरादून में नियुक्ति के दौरान 29 नवंबर, 2009 को ड्यूटी के समय उसकी लाल बत्ती वाली कार अनियंत्रित होकर एक खड्डे में गिर गई थी। तब कार में और कोई नहीं था।

उन्होंने बताया कि हादसे के तुरंत बाद मीडिया और पुलिस मौके पर पहुंचे लेकिन कार पर लाल बत्ती होने के कारण धर्मवीर को लोगों से दूर रखने के लिए एकांत में बैठा दिया गया था। कैलाश यादव ने बताया कि सिर में चोट लगने से धर्मवीर की याद्दाश्त चली गई और वह चुपचाप वहां से रवाना हो गया। उसे खोजा गया और उसका पता नहीं लगने पर सेना ने 26 सितंबर, 2012 को उसे मृत घोषित कर उसकी पत्नी के नाम प्रतिमाह आठ हजार रुपये की पेंशन आरंभ कर दी।

यादव ने बताया कि परिवार भी धर्मवीर को मृत मान चुका था। उसकी दो बेटियां हैं। इस बीच, धर्मवीर भटकता हुआ हरिद्वार पहुंच गया। करीब एक सप्ताह पहले हरिद्वार में एक मोटरसाइकिल ने उसे टक्कर मार दी और उसे सिर में चोट लग गई। चोट लगने के बाद धर्मवीर की याद्दाश्त लौट आई और खुद को भिखारी जैसी हालत में पा कर वह दंग रह गया।

परिजन के अनुसार, धर्मवीर ने जब लोगों से बोलना चाहा तो उसकी अजीब हालत, भिखारी जैसा हुलिया और दुर्गंध भरे शरीर को देखकर उससे किसी ने बात नहीं की। एक व्यक्ति ने उसके हाथ में पांच सौ रुपये का नोट रखा और चला गया।

उन्होने बताया कि धर्मवीर ने उन 500 रुपये से अपनी हजामत बनवाई, बाल कटवाए और पचास रुपये में पुराने कपड़े खरीदे। फिर वह बस से सोमवार की रात को बहरोड़, जयपुर दिल्ली राष्टीय राजमार्ग पर स्थित अपने गांव पहुंचा। बहरोड़ को बदले हालत में देखकर उसने ग्रामीणों से पूछा और पैदल ही अपने घर के लिए रवाना हो गया।

हृदय के ऑपरेशन के बाद आराम कर रहे धर्मवीर के पिता ने बताया कि रात को जब घर पर पहुंच कर धर्मवीर ने दरवाजा खटखटाया तो उन्होंने उससे पूछा कि वह कौन है। दरवाजा खोलने पर सामने धर्मवीर था। उसे देख कर, उससे बातें कर कैलाश यादव और उनके परिवार वालों को भरोसा ही नहीं हुआ।

सात साल पहले कथित तौर पर मर चुके धर्मवीर के लौटने की खबर सुन कर लोगों को विश्वास ही नहीं हुआ। उससे मिलने और उसे देखने आने वालों का तांता लगा है। कैलाश ने कहा कि उन्होंने सेना की 66 आर्म्ड रेजिमेंट को धर्मवीर के जिंदा होने और घर आने की सूचना दे दी है लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया है।

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