मॉब लिंचिंग (भीड़ के द्वारा हत्या) के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखकर चिंता जाहिर करने वाली 49 हस्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस ने यह जानकारी दी कि बिहार के मुजफ्फरपुर में रामचंद्र गुहा, मणि रत्नम और अपर्णा सेन सहित करीब 49 लोगों के खिलाफ गुरूवार को एफआईआर दर्ज की गई है।
स्थानीय वकील सुधीर कुमार ओझा की ओर से दो माह पहले दायर की गई एक याचिका पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) सूर्य कांत तिवारी के आदेश के बाद यह एफआईआर दर्ज हुई है।
क्या हैं आरोप?
ओझा ने कहा कि सीजेएम ने 20 अगस्त को उनकी याचिका मंजूर कर ली थी। इसके बाद गुरुवार को सदर पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज हुई। उन्होंने कहा कि पत्र के लगभग 50 हस्ताक्षरकर्ताओं को उनकी याचिका में आरोपी के रूप में नामित किया गया जिसमें उन्होंने कथित रूप से "देश और प्रधानमंत्री की छवि को धूमिल किया। इसके अलावा "अलगाववादी प्रवृत्तियों का समर्थन" किया।
इन धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज
पुलिस ने बताया कि एफआईआर भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत दर्ज की गयी है। इसमें राजद्रोह, उपद्रव करने, शांति भंग करने के इरादे से धार्मिक भावनाओं को आहत करने से संबंधित धाराएं लगाई गईं हैं।
इन हस्तियों ने लिखा था पत्र?
पत्र लिखने वालों में इतिहासकार रामचंद्र गुहा, फिल्म निर्देशक मणिरत्नम, फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप, फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल, अभिनेता सौमित्र चटर्जी, अभिनेत्री अपर्णा सेन और गायिका सुधा मुद्गल आदि शामिल थे।
पत्र में क्या लिखा था?
49 हस्तियों ने मॉब लिंचिंग असहिष्णुता के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा था। इसमें हस्तियों ने लिखा कि मुस्लिमों, दलितों और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ हो रही लिंचिंग की घटनाएं तुरंत रुकनी चाहिए। ऐसे मामलों में जल्द से जल्द और सख्त सजा का प्रावधान किया जाना चाहिए।
इस पत्र में कहा गया था कि जनवरी 2009 से 29 अक्टूबर 2018 तक धार्मिक पहचान के आधार पर 254 घटनाएं हुईं। इसमें 91 लोगों की मौत हुई जबकि 579 लोग जख्मी हुए। जबकि 2016 में दलितों पर अत्याचार के 840 मामले सामने आए हैं।
इस पत्र में लिखा गया था कि आम लोगों को भड़काने के लिए जय श्री राम के नाम का इस्तेमाल किया जा रहा है। इतना ही नहीं इन हस्तियों ने पीएम मोदी से एक ऐसा माहौल बनाने की मांग की है, जहां असंतोष को कुचला नहीं जाए और देश एक मजबूत राष्ट्र बने।