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वाजपेयी और मोदी में 5 अंतर

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को मोदी सरकार के जमाने में भारत रत्न मिल रहा है। मोदी सरकार ने वाजपेयी का नाम भारत रत्न के लिए क्यों चुना इस पर कई मत हैं। लेकिन इतना तय है कि मोदी, वाजपेयी की विरासत को आगे बढ़ाने का दावा करते हैं और कई मामलों में तो उनकी नकल भी करने की कोशिश करते हैं। एक ही विचारधारात्मक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खांचे से ढलकर निकलने के बावजूद दोनों के व्यक्तित्व के डिजाइन अलग हैं। देखिए:
वाजपेयी और मोदी में 5 अंतर

मोदी ने हमेशा हिंदू हृदय सम्राट की छवि बनाई, जबकि वाजपेई ने उदार हिंदुत्व का चेहरा पेश किया।

वाजपेई और मोदी दोनों ही नाटकीय वक्ता माने जाते हैं लेकिन वाजपेई के भाषणों में जहां और गंभीरता और आलंकारिक छटा होती थी, वहीं मोदी अपने बड़बोलेपन के लिए जाने जाते हैं।

वाजपेई अपने विरोधियों पर राजनीतिक हमला करते वक्त एक तरह की शिष्ट भाषा का इस्तेमाल करते थे जबकि मोदी किसी भी स्तर तक चले जाते हैं।

दोनों ही नेताओं की छवि पर सवार होकर भारतीज जनता पार्टी केंद्र की सत्ता में पहुंची लेकिन वाजपेयी जहां पार्टी में सबको साथ लेकर चलने की कोशिश करते रहे वहीं मोदी ने आडवाणी, जोशी और जसवंत सिंह जैसे बुजुर्ग नेताओं को किनारे लगा दिया।

वाजपेयी को उनकी अपनी पार्टी के राज में देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न मिल रहा है। ठीक उसी दिन फॉर्चून पत्रिका ने मोदी को दुनिया के पचास महानतम लोगों की श्रेणी में रखा है। तो क्या छवि निर्माण में माहिर मोदी एक दिन अपने लिए भी भारत रत्न जुटा लेंगे?  

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