जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत में लिए जाने का कारण डॉजियर में बताया है। पुलिस ने डॉजियर में लिखा कि उमर अब्दुल्ला का जनता पर खासा प्रभाव है, वे किसी भी कारण के लिए जनता की ऊर्जा का उपयोग कर सकते हैं। पुलिस ने कहा कि महबूबा ने राष्ट्रविरोधी बयान दिए और वे अलगववादियों की समर्थक हैं। उमर और महबूबा को पिछले साल 5 अगस्त से एहतियातन हिरासत में रखा गया है, जब केंद्र ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने और इस पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों-लद्दाख और जम्मू कश्मीर में बांटने की घोषणा की थी।
पूर्व मुख्यमंत्रियों के खिलाफ पीएसए के तहत मामले दर्ज किए जाने के लिए एनसी नेता की पार्टी की आंतरिक बैठकों की कार्यवाहियों और सोशल मीडिया पर उनके प्रभाव तथा पीडीपी प्रमुख के ''अलगाववादी" समर्थक रुख का अधिकारियों ने जिक्र किया है। उनके एहतियातन हिरासत की मियाद समाप्त होने से महज कुछ ही घंटे पहले उनके खिलाफ 6 फरवरी की रात पीएसए के तहत मामला दर्ज किया गया। नियमों के मुताबिक एहतियातन हिरासत को छह महीने से आगे तभी बढ़ाया जा सकता है जब 180 दिन की अवधि पूरा होने से दो हफ्ते पहले गठित कोई सलाहकार बोर्ड इस बारे में सिफारिश करे।
डॉजियर में सोशल मीडिया कमेंट्स का भी हवाला
उमर के खिलाफ तीन पृष्ठ के डॉजियर में जुलाई में नेशनल कांफ्रेंस की आंतरिक बैठक में कही गई उनकी कुछ बातों का जिक्र है जिसमें उन्होंने कथित रूप से कहा था कि सहयोग जुटाने आवश्यकता है ताकि केंद्र सरकार राज्य के विशेष दर्जे को हटाने की अपनी योजना को पूरा नहीं कर पाए।
पुलिस ने डॉजियर में आरोप लगाया- उमर अब्दुल्ला में चरम आतंकवाद के माहौल और आतंकवादियों या अलगाववादियों के मतदान विरोधी आह्वानों के दौरान भी लोगों को पोलिंग बूथ तक ले आने की क्षमता है। उमर ने राज्य से अनुच्छेद 370 और 35-ए हटाए जाने के बाद राज्य के लोगों को भड़काने का प्रयास किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर ऐसे कमेंट किए, जिससे लोग भड़क सकते थे और यह सामान्य जनजीवन को प्रभावित कर सकता था। हालांकि, डॉजियर में पुलिस ने उमर की किसी भी सोशल मीडिया पोस्ट का जिक्र नहीं किया। उमर ने नजरबंद होने से पहले ट्वीट किया था कि कश्मीर के लोगों हमें नहीं पता कि वहां हमारे लिए क्या है। सुरक्षित रहिए और सबसे ऊपर शांति बनाए रखिएगा।
‘महबूबा ने प्रतिबंधित संगठन को दिया समर्थन’
पुलिस ने कहा कि महबूबा मुफ्ती ने देश विरोधी बयान दिए। उन्होंने जमात-ए-इस्लामिया जैसे संगठनों को समर्थन दिया, जिन पर यूएपीए एक्ट के तहत बैन लगाया गया है। उन्होंने अपने बयान में कहा कि सुरक्षा बल आतंकियों की हत्या कर रहे हैं। महबूबा ने अनुच्छेद 370 को हटाए जाने की स्थिति में जम्मू कश्मीर के भारत में विलय को चुनौती दी थी और उनकी इन्हीं टिप्पणियों के लिए उन पर पीएसए लगाया गया। महबूबा की पार्टी पीडीपी जून 2018 तक जम्मू कश्मीर में भाजपा की सहयोगी थी।
उमर के दादा शेख अब्दुल्ला ने लागू किया था पीएसए
जम्मू-कश्मीर में उमर अब्दुल्ला के दादा शेख अब्दुल्ला ने 1978 में पीएसए लागू किया था। यह कानून लकड़ी की तस्करी करने वालों के विरूद्ध बना था। 2010 में जम्मू-कश्मीर में कई माह तक स्थिति खराब रही। लोग सड़कों पर थे और प्रदर्शन के दौरान करीब 110 लोग मारे गए थे। इस दौरान भी कई लोगों पर पीएसए लगा दिया गया था। उस समय जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला थे। अब उमर भी इसी एक्ट के तहत हिरासत में हैं। उनके पिता और 5 बार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे फारुक अब्दुल्ला के खिलाफ भी पिछले साल सितंबर में पीएसए के तहत केस दर्ज किया गया था।