शहाबुद्दीन के दामाद तथा भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी अफजल अमानुल्लाह ने बताया कि उन्हें सांस लेने की तकलीफ के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन आज सुबह करीब पांच बजकर 30 मिनट पर उनका निधन हो गया। उन्हें आज दिल्ली के लोधी रोड के कब्रिस्तान में जोहर नमाज के बाद करीब 1.30 बजे तत्फीम किया जाएगा।
राजनयिक, राजदूत और राजनेता के तौर पर जाने जाने वाले शहाबुद्दीन का जन्म 1935 में हुआ और बिहार स्कूल परीक्षा समित की मैट्रिक की परीक्षा के टॉपर रहे। वर्ष 1958 में भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के लिए चुने गए। वर्ष 1978 में उन्होंने भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) से इस्तीफा देकर राजनीति में प्रवेश किया। वह लोकसभा और राज्य सभा दोनों के सदस्य रहे।
गौरतलब है कि शहाबुद्दीन का नाम शाह बानो केस और बाबरी मस्जिद विध्वंश के बाद देश भर में सुर्खियों में छाया रहा। उन्होंने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा भी दे दिया था। उन्होंने 1989 में इंसाफ पार्टी का गठन किया था जिसे एक साल के भीतर ही भंग भी कर दिया था। वे भारत के संघीय ढ़ांचे के पैरोकार के तौर पर भी जाने जाते हैं और उनकी राय में शासन के हर स्तर पर अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी होनी चाहिए थी। वह ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुसावरात के 2004 से 2007 के बीच अध्यक्ष भी रहे।
विदेश मंत्रालय में दक्षिण-पूर्व एशिया, हिंद महासागर और प्रशांत के संयुक्त सचिव भी रह चुके शहाबुद्दीन ने पाकिस्तान से लेकर सऊदी अरब के कई समाचारपत्रों में विभिन्न विषयों पर कई लेख भी लिखे। सैयद शहाबुद्दीन की एक पुत्री परवीन अमानुल्लाह, जो अफजल की पत्नी हैं, वर्तमान में आम आदमी पार्टी की बिहार की नेता हैं। वह बिहार की नीतीश सरकार में मंत्री भी रह चुकी हैं।