सुप्रीम कोर्ट के चार मौजूदा जजों ने शुक्रवार को मीडिया के सामने आकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की प्रशासनिक कार्यशैली पर तीखे सवाल उठाए। इस दौरान चारों जजों ने एक चिट्ठी जारी की। जजों के मुताबिक यह चिट्ठी उन्होंने चीफ जस्टिस को लिखी थी।
आइए जानते हैं इस चिट्ठी में लिखी अहम बातें...
-हमे बेहद दुख और चिंता है इसलिए यह खत लिखा है। ये सही होगा कि आपको चिट्ठी के द्वारा मामले को बताया जाए। हाल में जो आदेश पारित किये उससे न्याय प्रक्रिया पर बुरा असर पड़ा है साथ ही सीजेआई के कार्यालय और हाई कोर्ट के प्रशासन पर सवाल उठा है।
-सिद्धांत यही है कि चीफ जस्टिस के पास रोस्टर बनाने का अधिकार है। वह तय करते हैं कि कौन सा केस इस कोर्ट में कौन देखेगा। यह विशेषाधिकार इसलिए है, ताकि सुप्रीम कोर्ट का कामकाज सुचारू रूप से चल सके। लेकिन इससे चीफ जस्टिस को उनके साथी जजों पर कानूनी, तथ्यात्मक और उच्चाधिकार नहीं मिल जाता। इस देश के न्यायशास्त्र में यह स्पष्ट है कि चीफ जस्टिस अन्य जजों में पहले हैं, बाकियों से ज्यादा या कम नहीं।
-इस देश की सभी अदालतों और सुप्रीम कोर्ट को उन मामलों पर संज्ञान नहीं लेना चाहिए, जिन्हें उपयुक्त बेंच द्वारा सुना जाना है। यह रोस्टर के मुताबिक तय होना चाहिए। जजों ने कहा हमें यह कहते हुए दुख हो रहा है कि इन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है।
- ऐसे भी कई मामले हैं, जिनका देश के लिए खासा महत्व है। लेकिन, चीफ जस्टिस ने उन मामलों को तार्किक आधार पर देने की बजाय अपनी पसंद वाली बेंचों को सौंप दिया। इसे तुरंत रोके जाने की जरूरत है। यहां हम मामलों का जिक्र इसलिए नहीं कर रहे हैं, ताकि संस्थान की प्रतिष्ठा को चोट न पहुंचे। लेकिन इस वजह से न्यायपालिका की छवि को नुकसान हो चुका है।
#JudgesPressConference - Here is the letter by Justice Chelameswar, Gogoi, Lokur and Kurian Joseph. 7 page letter. (1/2) pic.twitter.com/XY9tZQZHpL
— Bar & Bench (@barandbench) January 12, 2018
JUSTICE CHELAMESWAR LETTER (2/2) pic.twitter.com/UWrxTeJijf
— Sajid Iqbal (@SajidIqbal_) January 12, 2018