जी-20 शिखर सम्मेलन में विश्व नेताओं की मेजबानी करने से एक सप्ताह पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस बात पर जोर दिया है कि “सबका साथ- सबका विकास” मॉडल विश्व के कल्याण के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत हो सकता है। उन्होंने साथ ही कहा कि दुनिया का जीडीपी-केंद्रित दृष्टिकोण, अब मानव-केंद्रित दृष्टिकोण में बदल रहा है।
मोदी ने अपने लोक कल्याण मार्ग स्थित आवास पर पिछले सप्ताह के अंत में एक विशेष साक्षात्कार में पीटीआई-भाषा से कहा, “जीडीपी के आकार के बावजूद, हर आवाज मायने रखती है।”
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा, ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, सऊदी अरब के राजा मोहम्मद बिन सलमान, 19 विकासशील और विकसित देश तथा यूरोपीय संघ के नेता, नवनिर्मित भारत मंडपम सम्मेलन हॉल में 9-10 सितंबर को प्रमुख वार्षिक बैठक के लिए एकत्र होंगे।
मोदी ने पीटीआई (प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया) के प्रधान संपादक विजय जोशी के साथ जी-20 और संबंधित मुद्दों पर केंद्रित 80 मिनट के साक्षात्कार में कहा “भारत की जी-20 की अध्यक्षता से कई सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। उनमें से कुछ मेरे दिल के बहुत करीब हैं”
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि लंबे समय तक, भारत को एक अरब से अधिक भूखे पेट वाले लोगों के देश के रूप में जाना जाता था। लेकिन अब, भारत को एक अरब से अधिक महत्वाकांक्षी मस्तिष्क, दो अरब से अधिक कुशल हाथों और करोड़ों युवाओं के देश के रूप में देखा जा रहा है।
उन्होंने कहा,‘‘लंबे समय तक, भारत को एक अरब से अधिक भूखे पेट वाले लोगों के देश के रूप में जाना जाता था। लेकिन अब, भारत को एक अरब से अधिक महत्वाकांक्षी मस्तिष्क, दो अरब से अधिक कुशल हाथों और करोड़ों युवाओं के देश के रूप में देखा जा रहा है।’’
जी-20 का दुनिया की जीडीपी में 80 फीसदी, अंतरराष्ट्रीय व्यापार में 75 फीसदी, दुनिया की आबादी में 65 फीसदी और दुनिया के भूभाग में 60 फीसदी योगदान है। भारत ने पिछले नवंबर में इंडोनेशिया से जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण की थी और दिसंबर में इसे ब्राजील को सौंप दिया जाएगा।