राजनीतिक विरोधियों ने इस मौके का इस्तेमाल गडकरी और उनकी पार्टी भाजपा पर निशाना साधने के लिए किया जबकि केंद्रीय मंत्री ने यह कहते हुए अपना बचाव किया कि उन्होंने अपने जीवन में कभी भी किसी कॉरपोरेट घराने से पैसा नहीं लिया।
गडकरी ने यह कबूल किया कि उन्होंने 2013 में एक यात्रा के दौरान याट क्रूज के लिए फ्रांस के शहर नीस से लेकर रिविएरा वॉटरफ्रंट तक हेलीकॉप्टर की सवारी की थी। हालांकि, उन्होंने साफ किया कि उस यात्रा के दौरान वह न तो मंत्री थे और न ही सांसद या विधायक थे। उन्होंने यह भी कहा कि इस पूरी यात्रा का खर्च उन्होंने अपने परिवार के खाते से दिया था।
यह विवाद उस वक्त पैदा हुआ जब एक व्हिसल ब्लोअर ने एस्सार ग्रुप के आंतरिक कंपनी संवादों को सार्वजनिक करने का फैसला किया। उसने दावा किया कि दस्तावेजों से पता चलता है कि कॉरपोरेट ताकतों ने किस तरह सत्ता और प्रभाव के पदों पर बैठे लोगों को सुविधाएं दीं और अपने हितों को पूरा कराने के लिए उन्हें किस तरह तोहफों और एहसानों से लाद दिया जाता है।
इस बीच, उच्चतम न्यायालय के जाने-माने वकील प्रशांत भूषण के एनजीओ सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआइएल) ने आज इस मुद्दे पर एक जनहित याचिका दायर की। प्रशांत ने कहा कि यह एस्सार कॉरपोरेट के सुगम तंत्र से जुड़ा मामला है जिसके जरिए यह शीर्ष मंत्रियों, नौकरशाहों, नेताओं, विधायकों और पत्रकारों से समझौता करता है।