सुरक्षा के साए में मुजफ्फरनगर पुलिस ने बाबा को सकौती में छोड़ा। सकौती में रात्रि विश्राम के बाद वह अपने साथियों के साथ हाईवे पर दशरपुर गांव के सामने पहुंचे तो बाबा को देखने के लिए ग्रामीणों की भीड़ जुट गई। गोल्डन बाबा जिनका नाम सुधीर कुमार है, ने बताया कि कांवड़ यात्रा का राष्ट्रीयकरण हो रहा है। इसी वजह से मैं गोल्डन पहन कर यात्रा में निकला हूं। ताकि अधिक से अधिक लोग यात्रा से जुड़े। उनकी इच्छा है जन जन तक बम बम बोले का जयकारा पहुंचे।
बाबा कहते हैं यात्रा में बजने वाले देश भक्ति गीतों के साथ 90 प्रतिशत कांवड़ों पर लगा तिरंगा इसका प्रतीक है। शिव की आराधना के साथ देशभक्ति का जज्बा बढ़ता जा रहा है, यह अच्छा संकेत है। बाबा के हाथों में मोटी अंगूठी के अलावा गले में चेन और लॉकेट है। यात्रा पूरी तरह से हाईटेक है। लग्जरी गाड़ी बाबा के साथ चल रही हैं। बाबा की यह 24 वीं कांवड़ यात्रा है। उन्होंने कहा है कि आखिरी सांस तक वह कांवड़ लाएंगे। हरिद्वार में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बाबा का फूल माला पहनाकर स्वागत किया था।
गोल्डन बाबा ने बताया कि वह सुरक्षा को देखते हुए हाईवे पर लगे किसी भी शिविर में प्रसाद ग्रहण नहीं करते हैं। उनके काफिले में रसोई स्टाफ से लेकर बारिश में रुकने के लिए अत्याधुनिक तकनीक से बना तंबू है। उनके काफिले में एंबुलेंस भी है। पहली यात्रा में वह पांच किलो सोने के गहने पहनकर कांवड़ लाए थे।
बाबा सुधीर कुमार को आभूषणों का बहुत शौक है। यह अपने शरीर पर करीब साढ़े बारह किलो की जूलरी हमेशा पहने रहते हैं। बाबा की जूलरी में सोने के और कीमती पत्थरों से जड़े आभूषण हैं। हाथों में कीमती अंगूठियां हैं। साथ ही बाबा के पास एक खास हीरों से जड़ी हुई घड़ी भी है, जिसकी कीमत 27 लाख रुपए के करीब है। अपनी यात्रा में बाबा अलग-अलग शहरों में ठहरते हैं और बाबा के भक्त इत्यादि उनकी एक झलक पाने के लिए बेताब रहते हैं।