गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि भारत-विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे 312 विदेशी सिखों के नाम ब्लैक लिस्ट से हटा दिए हैं। अब इस सूची में केवल दो नाम बचे हैं।
विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों ने ब्लैक लिस्ट में दर्ज विदेशी सिख नागरिकों के नामों की समीक्षा की और उसके बाद यह निर्णय लिया गया। एक अधिकारी ने बताया, ‘‘ भारत सरकार ने ब्लैक लिस्ट में सिख समुदाय से ताल्लुक रखने वाले 314 विदेशी नागरिकों के नामों की समीक्षा की और अब इस सूची में सिर्फ दो नाम हैं।’’ इस ब्लैक लिस्ट से जिन लोगों के नाम हटाए गए हैं, वह अब भारत में अपने परिवारों से मिलने आ सकते हैं और अपनी जमीन से दोबारा जुड़ सकते हैं।
अधिकारी ने बताया कि समीक्षा नियमित तौर पर सतत चलने वाली प्रक्रिया है। ऐसी समीक्षा इस प्रकार के विदेशी सिख नागरिकों को भारत आने का एक मौका प्रदान करेगी। इससे वह अपने परिवार के सदस्यों से मिल सकेंगे और अपनी जड़ों से दोबारा जुड़ सकेंगे।
क्यों डाला गया था ब्लैक लिस्ट में?
दरअसल, 1980 में भारत के कई सिख नागरिक और सिख समुदाय से ताल्लुक रखनेवाले कई विदेशी नागरिक कथित तौर पर भारत विरोधी दुष्प्रचार में शामिल थे। भारत के कुछ सिख नागरिक यहां सजा से बचने के लिए कहीं और चले गए और विदेशों के नागरिक बन गए और वहां शरण ले ली। ऐसे लोगों को 2016 तक ब्लैक लिस्ट में रखा गया था, जिसके बाद वह भारतीय वीजा हासिल करने के योग्य नहीं थे।
अब यह प्रक्रिया ही बंद
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि अब यह प्रक्रिया ही बंद कर दी गई है। अधिकारी ने कहा कि विदेश में सभी भारतीय मिशनों/पोस्ट्स को नसीहत दी गई है कि जो इस सूची में शामिल नहीं है, ऐसे सभी वर्गों के लोगों को और उनके परिवारवालों को उपयुक्त वीजा मुहैया कराया जाए, जिन्होंने विदेशों में शरण ली है।
अधिकारी के मुताबिक, शरण लेने वाले सभी वर्गों के लोग जो लंबी अवधि के लिए वीजा लेने के पात्र होंगे, वह ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया कार्ड के लिए पंजीकरण करा सकते हैं। यह प्रक्रिया दो साल के वीजा के लिए आवेदन करने और उसे हासिल करने के बाद ही की जा सकती है।