सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने नए टीवी सेट-टॉप बॉक्स में एक चिप लगाने का प्रस्ताव दिया है, जो चैनलों के बारे में डेटा और उनकी अवधि प्रदान करेगा।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस कदम से हर चैनल के दर्शकों के आंकड़ों को "और अधिक प्रामाणिक" बनाना है।
उन्होंने कहा, "यह विज्ञापनदाताओं और डीएवीपी को अपने विज्ञापन व्यय को बुद्धिमानी से खर्च करने में मदद करेगा। केवल उन्हीं चैनलों को प्रचार मिलेगा जिन्हें ज्यादा देखा जाता है।"
विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और संगठन की तरफ से दिए जाने वाले विज्ञापनों की नोडल (केंद्रक) एजेंसी है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने प्रस्ताव में भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) को बताया कि ऐसा प्रस्ताव है कि डीटीएच ऑपरेटर नए सेट-टॉप बॉक्स में एक चिप लगाएं, जो चैनलों के बारे में डेटा और उनके देखे जाने की अवधि को बताएगी।
ट्राई की तरफ से जारी किए गए नए डायरेक्ट टू होम लाइसेंस से जुड़े मामलों को लेकर दी गई कई सिफारिशों को देखते हुए मंत्रालय ने चिप का प्रस्ताव रखा है।
अधिकारी ने यह भी बताया कि मंत्रालय को लगता है कि दूरदर्शन की व्यूअरशिप में कमी आई है और अगर सेट टॉप बॉक्स में चिप लगाई जाती है तो इससे चैनल को उसके सही व्यूअरशिप के फिगर जानने का मौका मिलेगा। माना जा रहा है कि इस कदम से टीवी दर्शकों के व्यूअरशिप फिगर मापने के ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल इंडिया (बार्क) के एकाधिकार को समाप्त किया जा सकेगा।
अधिकारी के मुताबिक बार्क इस मामले में लगभग एकाधिकार रखता है और अभी इसका कोई विकल्प नहीं है और इससे यह भी खुलासा नहीं हो पाता है कि वे व्यूअरशिप के फिगर को कैसे मापते हैं, उनकी क्या कार्यप्रणाली है और वे सर्वे के लिए किन बातों को लागू करते है।
इस प्रकार मंत्रालय अपने आंकड़े जुटाकर बार्क के आंकड़ों से तुलना कर यह पता लगा पाएगा कि उसके आंकड़े कितने वास्तविक हैं। मंत्रालय ने बार्क के आंकड़ों को जांचने के लिए 300 मीटरों को भी खरीदने पर विचार किया था, लेकिन इतने कम मीटर लगाना कम समझा। अधिकारी ने बताया कि बार्क ने लोगों के टीवी देखने के आंकड़े जुटाने के लिए लगभग 30 हजार मीटर टीवी सेट्स के मदरबोर्ड में लगवाए हैं।
इधर बार्क ने आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि वह संयुक्त इंडस्ट्री बॉडी है जिसका गठन स्टेक होल्डर्स, सरकार के प्रतिनिधियों और ट्राई से सलाह करके किया गया है। बार्क ने इस मामले से जुड़ी सभी जानकारियां उसकी वेबसाइट पर उपलब्ध होने की बात कही है।
बीएआरसी इंडिया के प्रवक्ता ने कहा कि बीएआरसी नियामक ढांचे के भीतर काम करता है, जो कि मंत्रालय की दिशा-निर्देशों के अनुसार होता है।