सरकार ने दमन एवं दियू, दादरा और नागर हवेली का विलय करके एक केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) बनाने के लिए एक विधेयक लोकसभा में पेश किया है। दादरा एवं नागर हवेली और दमन एवं दियू (केंद्र शासित प्रदेश का विलय) विधेयक केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने लोकसभा में प्रस्तुत किया।
छोटे यूटी को मिलाने का फैसला
सरकार ने तीन महीने पहले जम्मू कश्मीर राज्य का विभाजन करके जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो केंद्र शासित प्रदेश बनाए थे। रेड्डी ने कहा कि न्यूनतम सरकार और अधिकतम सुशासन की सरकार की नीति को ध्यान में रखते हुए केंद्र शासित प्रदेशों दादरा एवं नागर हवेली और दमन दियू का विलय करने का फैसला किया गया है। दोनों केंद्र शासित प्रदेशों की छोटी आबादी और सीमित क्षेत्र को ध्यान में रखकर अधिकारियों की सेवाओं के बेहतर उपयोग के लिए यह कदम उठाया गया है।
विलय के बाद यूटी में तीन जिले होंगे
विलय के बाद गठित होने वाली प्रशासनिक इकाई का नाम दादरा एवं नागर हवेला और दमन एवं दियू होगा। गुजरात के निकट पश्चिमी तट पर बसे दोनों केंद्र शासित प्रदेशों का विलय बेहतर प्रशासन और तमाम कार्यों का दोहराव रोकने के लिए किया गया है। आपस में सिर्फ 35 किलोमीटर दूरी पर स्थित दोनों क्षेत्रों का अलग बजट बनता है और अलग-अलग सचिवालय हैं। दादरा एवं नागर हवेली में सिर्फ एक जिला है जबकि दमन एवं दियू में दो जिले हैं।
लंबे समय तक पुर्तगालियों का शासन रहा
इन दोनों क्षेत्रों पर लंबे समय तक पुर्तगालियों का शासन रहा। उन्हें दिसंबर 1961 में पुर्तगाली शासन से मुक्त मिली। 1961 से 1987 तक दमन एवं दियू गोवा यूटी का हिस्सा था। 1987 में जब गोवा राज्य बना तो इसे अलग यूटी बना दिया गया। दादरा एवं नागर हवेली पर पुर्तगालियों ने जून 1783 में कब्जा किया था। इस क्षेत्र के लोगों को पुर्तगाली शासन से मुक्ति दो अगस्त 1954 को मिली। 1954 से 1961 तक इस क्षेत्र का शासन आजाद दादरा एवं नागर हवेली की वरिष्ठ पंचायत यानी सिटीजन काउंसिल द्वारा चलाया जाता था। 1961 में इसे भारत में यूटी के रूप में शामिल कर लिया गया।
देश में फिर से आठ यूटी बचेंगे
विधेयक के अनुसार नियत दिन से नवगठित यूटी की लोकसभा में दो सीटें होंगी। बांबे हाई कोर्ट पहले की तरह यहां के विधिक मामले देखेगा। मौजूदा दोनों यूटी के अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी नए यूटी कैडर में ट्रांसफर होंगे। इसी तरह बाकी कर्मचारी नए यूटी में चले जाएंगे। जम्मू कश्मीर के विभाजन के बाद देश में नौ केंद्र शासित प्रदेश हो गए थे। लेकिन इस विधेयक के पारित होने से इनकी संख्या फिर से आठ रह जाएगी।