बेेचारा इंडिया गेट और उसे चाहने वाले परिवार वालों, मोहब्बत करने वालों के लिए आज की शाम बेहद दुश्वारियों वाली थी। आजाद सांस लेने वाली जगह छिन गई, पुलिस वालों ने दौड़ा-दौड़ा कर थका मारा और क्या-क्या न हुआ पूछा नहीं। मोदी सरकार के दूसरे जन्मदिवस के जलसे में आम आदमी मीडिया और उन तमाम इंसानों को पास भी नहीं फटकने की इजाजत थी, जिनके पास वीवीआईपी कार्ड या बत्ती नहीं थी।
इंडिया गेट पर शाहजहां रोड की तरफ जाने वाली रेडलाइट पर अपनी मम्मी, आंटी और मोहल्ले के कुछ दोस्तों के साथ खड़ी पिंकी को आज सरकारी आयोजन पर बहुत गुस्सा आया। उन्होंने बोला कि प्रधानमंत्री तो वह हमारे भी है न। सरकार तो हमारी ही है। फिर हम जैसे आम आदमी को इतने बड़े जश्न से क्यों बाहर रखा। और आज इंडिया गेट हमारे लिए बंद था, तो लाखों रुपये के जो विज्ञापन निकाले थे, उसमें यह भी लिख देना चाहिए था कि ये खास लोगों के लिए है। कितनी मुश्किल हम सब लोगों को हो रही है।
इंडिया गेट चूंकि दिल्लीवासियों का पसंदीदा अड्डा है, जहां वह परिजनों और दोस्तों के साथ शनिवास-इतवार को आते हैं, ऐसे अनगिनत लोगों को आ बेहद दिक्कत उठानी पड़ी। ये सारा आयोजन था तो भारत के उस आम आदमी के नाम जिसके लिए मोदी सरकार का दावा है कि वह पिछले दो सालों से बहुत काम कर रही है, लेकिन इस आम नागरिक की कोई जगह नहीं थी।
दिल्ली विश्वविद्यालय की रेशमा सहगल ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मंत्री दावे पर दावे ठोंके जा रहे हैं लेकिन उन्हें हमारी असल में कोई फिक्र नहीं। पीआर कंपनी जैसे चला रहे हैं सरकार। आम नागरिकों के लिए बड़ी टीवी स्क्रीन लगा देते, अखबारों में जानकारी प्रकाशित करते कि आज हम जैसे लोग यहां न फटके।
पहले से जानकारी न होने की वजह से बहुत से लोग हैरान-परेशान नजर आए। मीडिया की भी कोई इंट्री नहीं थी। वीवीआईपी लोगों, मंत्रियों, सिने अभिनेताओं के बल पर मोदी सरकार ने अपना डिंड़ोरा खूब पिटा। देस-विदेश तक में जनता के पैसे से हुए जश्न में लेकिन आम नागरिक की इंट्री रही बैन। 100 करोड़ रुपये तो खालिस विज्ञापनों पर फूंके गए और कितने करोड़ इस आयोजन पर खर्च हुए, इस बारे में कोई जानकारी अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है। दूरदर्शन के इस कार्यक्रम का ठेका तक निजी इवेंट कंपनी को सौंपा गया था।