दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को धार्मिक प्रतीकों वाले सिक्कों को वापस लेने संबंधी याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि यह देश की धर्मनिरपेक्ष छवि को नुकसान नहीं पहुंचाता है। याचिका में कहा गया था कि 2010 और 2013 में जारी बृहदेश्वर मंदिर और माता वैष्णो देवी के चित्र वाले सिक्कों को वापस लेने के लिए आरबीआई और वित्त मंत्रालय को निर्देश दिया जाए।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और जस्टिस सी हरिशंकर की खंडपीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि इससे देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचता है। याचिकाकर्ता अपने तर्क के पक्ष में यह साबित करने में असफल रहे कि धार्मिक छवि वाले सिक्कों के जारी होने से धर्म के पालन पर असर पड़ता है। कोर्ट ने कहा कि मुद्रांकण अधिनियम-2011 के तहत किसी समारोह की याद में सिक्का जारी करना विशुद्ध रूप से सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है।
दिल्ली के दो निवासियों ने यह याचिका दाखिल की थी। नफीस काजी और अबु सईद ने जनहित याचिका में आरबीआई और वित्त मंत्रालय को ऐसे सिक्कों को वापस लेने के लिए निर्देश जारी करने की मांग की थी। कोर्ट ने उनसे पूछा कि यह किस तरह से धर्मनिरपेक्षता के लिए खतरनाक है। खंडपीठ ने कहा कि कल किसी अन्य धर्म की याद में इस तरह के सिक्के या नोट जारी किए जा सकते हैं। धर्मनिरपेक्षता का मतलब समान आदर और सभी धर्मों के प्रति सम्मान है।
बता दें कि बृहदेश्वर मंदिर के 1000 साल पूरे होने पर सरकार ने 2010 में इसकी छवि वाले 5 रुपये का सिक्का जारी किया था। 2013 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की तस्वीर वाले सिक्के जारी किए थे। याचिका में इसे “धर्मनिरपेक्ष-विरोधी” गतिविधि बताया गया था।