लखनऊ से आरटीआई फोरम के मुताबिक जस्टिस अमरेश्वर प्रताप साही और जस्टिस संजय हरकौली की बेंच ने यह आदेश वादी प्रताप चन्द्रा की अधिवक्ता डॉ. नूतन ठाकुर तथा निर्वाचन आयोग के अधिवक्ता मनीष माथुर को सुनने के बाद दिया।
डॉ. ठाकुर का कहना था कि दिल्ली हाईकोर्ट के 07 जुलाई 2016 के एक आदेश के क्रम में चुनाव आयोग ने 07 अक्टूबर 2016 को एक परिपत्र जारी कर सभी राजनैतिक दलों से किसी भी सार्वजनिक या सरकारी स्थान और सरकारी धन से अपनी पार्टी के चुनावचिह्न का प्रचार करने पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी थी जिसमें नेताओं द्वारा टीवी कार्यक्रम में अपने चुनावचिह्न का प्रदर्शन भी आता है, पर आयोग ने 24 जनवरी 2017 के आदेश द्वारा इसे अस्वीकार कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि आयोग का आदेश पूरी तरह विधिसम्मत है क्योंकि किसी के निजी आवास या पार्टी कार्यालय के जो हिस्से टीवी चैनल के जरिए प्रसारित होते हैं, वह सार्वजनिक स्थान की परिभाषा में नहीं माना जाएगा।