सत्तारूढ़ गठबंधन के सहयोगी दल शिवसेना के मुखपत्र सामना में सोमवार को प्रकाशित लेख के अनुसार, लोगों को आशा थी कि प्रधानमंत्री मोदी उनके जख्मों पर मरहम लगाएंगे। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं लगता कि राष्ट्र को संबोधित करते हुए मोदी जरा भी गंभीर थे।
लेख में कहा गया है कि मोदी द्वारा घोषित कई योजनाएं पुरानी हैं और संप्रग सरकार के समय से चल रही हैं। उदाहरण के लिए अस्पताल में प्रसव के बाद जच्चा को 6,000 रुपये देने की घोषणा खाद्य सुरक्षा कानून के तहत 2013 से ही चल रही है। पार्टी ने कहा कि किसानों के लिए घोषित योजनाओं में भी गड़बड़ है। गौरतलब है कि नववर्ष की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गर्भवती महिलाओं के लिए एक देशव्यापी योजना शुरू करने की घोषणा की थी, जिसके तहत सरकार देश के सभी, 650 से ज्यादा जिलों में सरकार गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में पंजीकरण और डिलिवरी, टीकाकरण और पौष्टिक आहार के लिए 6 हजार रुपए की आर्थिक मदद करेगी। ये राशि गर्भवती महिलाओं के अकाउंट में ट्रांसफर की जाएगी। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में इस बात की चर्चा भी थी कि वर्तमान में यह योजना 4 हजार की आर्थिक मदद के साथ देश के सिर्फ 53 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत चलाई जा रही थी।
सामना में प्रकाशित लेख के मुताबिक अस्पताल में प्रसव के बाद जच्चा को 6,000 रुपये देने की घोषणा खाद्य सुरक्षा कानून के तहत 2013 से ही चल रही है। एक बिजनेस अखबार में प्रकाशित खबर के अनुसार इंदिरा मातृत्व सहयोग योजना नाम से यह योजना वर्ष 2013 से ही चल रही है।
एजेंसी