दिल्ली हाईकोर्ट ने तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा द्वारा जी न्यूज और उसके प्रधान संपादक सुधीर चौधरी के खिलाफ दायर मानहानि के मामले में कार्यवाही पर रोक लगाने के निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया है। मानहानि का यह मामला संसद में 25 जून को मोइत्रा द्वारा दिये गए बयान के सिलेसिले में दर्ज कराया गया था।
जस्टिस बृजेश सेठी ने तृणमूल कांग्रेस सांसद की एक याचिका पर यह आदेश पारित किया। इससे पहले सत्र अदालत ने 25 सितंबर के अपने फैसले में एक मजिस्ट्रेट की अदालत में चैनल के खिलाफ चल रही मानहानि की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।
मोइत्रा ने दी थी ये दलील
मोइत्रा ने अपनी याचिका में दलील दी थी कि जब मामला सम्मन जारी करने से पहले के चरण में था तो सत्र अदालत को मानहानि की कार्यवाही में दखल नहीं देना चाहिए था। यह आदेश चौधरी की अपील पर दिया गया था जिसमें उन्होंने कहा था कि अपनी मानहानि याचिका में प्रासंगिक तथ्यों को छिपाने के लिये सांसद के खिलाफ शपथ भंग की कार्रवाई होनी चाहिए। मोइत्रा ने हाईकोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में कहा था कि सत्र न्यायालय को ‘‘प्रस्तावित’’ आरोपी की याचिका पर उनके खिलाफ कार्यवाही पर रोक नहीं लगानी चाहिए थी।
क्या है मामला?
अपनी मानहानि याचिका में मोइत्रा ने कहा था कि 25 जून को संसद में उनके द्वारा दिया गया बयान संयुक्त राष्ट्र संग्रहालय में स्थित नरसंहार से संबंधित एक पोस्टर से प्रेरित था जिसमें शुरुआती फासीवाद के 14 संकेत थे और उन्होंने स्पष्ट रूप से स्रोत का उल्लेख किया था कि यह संकेत उक्त पोस्टर से लिये गए हैं। शिकायत में दावा किया गया कि समाचार चैनल ने यह प्रसारित किया कि उन्होंने संसद में दिये अपने ‘‘नफरत भरे बयान’’ की साहित्यिक चोरी की। इसके बाद जी न्यूज ने मोइत्रा के खिलाफ मानहानि की शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने मीडिया में कथित तौर पर उसके खिलाफ बयान दिये।