सरकार के इस कदम को ऐतिहासिक माना जा रहा है क्योंकि इसकी मांग लंबे समय से की जा रही थी। मंत्रालय के प्रवक्ता सितांशु कार ने मंत्रालय के इस फैसले की जानकारी दी है।
गौरतलब है कि 83वें वायु सेना दिवस पर वायुसेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल अरूप राहा ने कहा था, ‘हमारी महिला पायलट परिवहन विमान और हेलीकॉप्टर उड़ाती हैं, अब हम भारत की युवा महिलाओं की आकांक्षा से कदम मिलाने के लिए उन्हें लड़ाकू बल में शामिल करने की योजना बना रहे हैं।’ उन्होंने यह भी कहा था कि उन्हें इस बात में कोई शक नहीं है कि महिलाएं लड़ाकू पायलट बनने के लिए किसी भी शारीरिक बाधा को पार करने में सक्षम हैं। गौरतलब है कि भारतीय वायु सेना में इस समय 1500 महिलाएं कार्यरत हैं जिनमें 94 पायलट हैं।
इससे पहले वायुसेना ने महिलाओं को इस भय से युद्धक बल में शामिल करने से मना कर दिया था कि लड़ाई की स्थिति में दुश्मन द्वारा विमान को मार गिराए जाने की स्थिति में महिलाएं बलात्कार जैसे अपराधों का शिकार हो सकती हैं। महिलाओं को वर्ष 2010 में दिल्ली हाईकोर्ट ने थल सेना एवं वायु सेना में दीर्घ अवधि की सेवा के लिए मंजूरी दी थी। पिछले महीने यही हक नौसेना में महिलाओं को मिला।
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    