एएमयू की कार्यकारी परिषद में 28 सदस्य होते हैं और इनमें से तीन नामों का प्रस्ताव मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से किया जाता है। राष्ट्रपति कार्यालय ने यह कहकर फाइल वापस कर दी कि कुछ और नाम भेजे जाएं। चूंकि राष्ट्रपति ही केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपति होते हैं और उनकी मुहर के बिना सदस्य की नियुक्ति संभव नहीं है इसलिए अब मंत्रालय को फिर से विचार करना होगा।
मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि एएमयू कार्यकारी परिषद के उम्मीदवारों के नामों पर जल्द चर्चा होगी और नए नाम तय किए जाएंगे। हालांकि रजत शर्मा और विजय पी. भटकार के नाम पर अब पुनर्विचार नहीं किया जाएगा। विजय पी. भटकार स्वदेशी प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सक्रिय हैं और उन्हें भारत के पहले सुपरकंप्यूटर का वास्तुकार माना जाता है। सरकार ने अब जिस तरह से एएमयू को साधने का रुख किया है उससे सत्ता और विपक्षी दलों में एक बार फिर टकराव की संभावना बढ़ गई है। विपक्ष का आरोप है कि केंद्र बेवजह एएमयू के मामलों में दखलअंदाजी कर रहा है।
इससे पहले भी एएमयू के बिहार, केरल और पश्चिम बंगाल में केंद्र स्थापित करने को लेकर मानव संसाधन मंत्रालय अड़ंगा डाल चुका है। अपने परिसर से बाहर पांच केंद्र खोले जाने पर विश्वविद्यालय के कुलपति जमीरुद्दीन शाह ने कहा कि मानव संसाधन मंत्री ने इन केंद्रों को गैरकानूनी करार दिया है और इन्हें वित्तीय सहायता बंद करने की धमकी दी गई है। शाह ने एक प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात का मन बना चुके हैं।