गृह मंत्रालय ने मंगलवार को एमनेस्टी इंटरनेशनल के उस बयान को बहुत दुर्भाग्यपूर्ण, अतिरंजित और सच्चाई से परे बताया जिसमें उसने कहा है कि उसे लगातार निशाना बनाया जा रहा है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि मानवीय कार्यों और सत्ता से दो टूक बात करने के बारे में दिए गए सुन्दर बयान और कुछ नहीं, बल्कि संस्था की उन गतिविधियों से सभी का ध्यान भटकाने का तरीका है, जो भारतीय कानून का सरासर उल्लंघन करते हैं।
गृह मंत्रालय ने कहा, ‘‘ऐसे बयानों का लक्ष्य पिछले कुछ सालों में की गयी अनियमितताओं और अवैध गतिविधियों की विभिन्न एजेंसियों द्वारा की जा रही जांच को प्रभावित करना है।
गृह मंत्रालय ने आगे कहा कि एमनेस्टी इंटरनेशनल को विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत केवल एक बार इजाजत मिली थी, वह भी 20 साल पहले (19 दिसंबर, 2000 को)। उसके बाद बार-बार आवेदन के बावजूद तमाम सरकारों ने उसे एफसीआरए स्वीकृति नहीं दी क्योंकि कानूनन वह पात्र नहीं था।''
हालांकि, एमनेस्टी ब्रिटेन ने एफसीआरए नियमों को दरकिनार कर भारत में पंजीकृत चार कंपनियों/फर्मों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के रास्ते काफी धन भेजा।
एफसीआरए के तहत गृह मंत्रालय की इजाजत के बिना एमनेस्टी (भारत) को भी विदेशों से बहुत बड़ी राशि मिली। उसमें कहा गया है, ‘‘इस प्रकार गलत रास्ते से धन मंगवाना कानून के प्रावधानों का उल्लंघन है।''
गृह मंत्रालय ने कहा कि एमनेस्टी की इन्हीं गैरकानूनी गतिविधियों की वजह से पिछली सरकारों ने भी विदेशों से चंदा पाने की संगठन की अर्जी बार-बार खारिज की। इस वजह से एमनेस्टी को उस दौरान भी एक बार भारत में अपनी गतिविधियां बंद भी करनी पड़ी थीं। गृह मंत्रालय ने कहा कि विभिन्न सरकारों के दौर में एमनेस्टी के विरुद्ध उठाए गए कदमों से सिध्द होता है कि पूरी गलती एमनेस्टी द्वारा अपने कामकाज के लिए धन पाने के लिये अपनाए गए संदिग्ध तरीकों में है।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा अपनाया गया रुख और दिया गया बयान बहुत दुर्भाग्यपूर्ण, अतिरंजित और सच्चाई से परे है।''
गौरतलब है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मंगलवार को कहा था कि वह अपने खाते से लेन-देन पर पाबंदी की वजह से भारत में सभी गतिविधियों को रोक रहा है। उसने दावा किया कि निराधार और दुर्भावना से प्रेरित आरोपों के माध्यम से उसे बार-बार निशाना बनाया जा रहा है।