देश में कोविड-19 की दूसरी लहर थमने के बाद अब तीसरी लहर का खतरा मंडराने लगा है। वहीं हालही में पाए गए कोरोना के नए डेल्टा प्लस वेरिएंट ने लोगों की चिंताएं बढ़ा दी है। एक स्टडी में दावा किया गया कि कोविड-19 की तीसरी लहर आती है तो उसका असर दूसरी लहर की तुलना में कम होगा। आईसीएमआर ने भारत में कोविड-19 की तीसरी लहर की संभानाएं व्यक्त करते हुए एक अध्ययन प्रकाशित किया है।
इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईजेएमआर) में प्रकाशित गणितीय मॉडलिंग विश्लेषण पर आधारित अध्ययन इस बात पर प्रकाश डालता है कि भारत में तीसरी लहर आती है तो यह दूसरी लहर जितना गंभीर नहीं होगी। टीकाकरण में तेजी के बाद तीसरी लहर के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
भारत में COVID-19 की तीसरी लहर की संभावना पर एक गणितीय मॉडलिंग आधारित विश्लेषण भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के डॉक्टर संदीप मंडल, डॉयरेक्टर जनरल बलराम भार्गव, आईसीएमआर में चीफ एपिडेमोलॉजिस्ट डॉक्टर समीरन पांडा और यूके से निमालन अरिनमिनपथी द्वारा किया गया है।
इस अध्ययन में कहा गया कि संक्रमण आधारित प्रतिरक्षा यानी इम्यूनिटी कैपेसिटी समय के साथ कम हो सकती है। ऐसे में संभावनाएं हैं कि पहले से संक्रमण की चपेट में आ चुके लोग दोबारा संक्रमित हो सकते हैं।
वहीं आईसीएमआर की हाल की में किए गए अध्ययन में पता चला है कि भारत में आई दूसरी लहर में गर्भवती महिलाएं अधिक गंभीर रूप से प्रभावित हुई हैं। इस साल मृत्यू दर और संक्रमित मामलों के आंकड़ों में काफी बढ़ेतरी हुई है।
बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर ने अप्रैल-मई महीने में काफी तबाही मचाई थी। इस दौरान रोजाना आने वाले मामलों ने कई रिकॉर्ड दर्ज किए गए, लेकिन अब दूसरी लहर का प्रभाव काफी कम हो गया है। आज तो दैनिक मामलों की संख्या 50 हजार से कम दर्ज की गई। एहतियात बरतते हुए सरकार ने तीसरी लहर को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसके लिए वैक्सीनेशन अभियान तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। सरकार की कोशिश है की तीसरी लहर से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों का टीकाकरण किया जाए।