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आइएसआइएस के प्रभाव को खत्म करने के लिए इमाम सोशल मीडिया का इस्तेमाल करेंगे

युवाओं को आइएसआइएस और अन्य आतंकी संगठनों के प्रति आकर्षित होने से रोकने के लिए यहां के इमाम सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने पर विचार कर रहे हैं। वह सोशल मीडिया के जरिये युवाओं को इस्लाम का सही अर्थ समझाएंगे और शांति के संदेश का प्रसार करेंगे।
आइएसआइएस के प्रभाव को खत्म करने के लिए इमाम सोशल मीडिया का इस्तेमाल करेंगे

बंगाल के वरिष्ठ इमाम कारी फजलुर रहमान ने सोशल मीडिया संबंधी यह पहल शुरू करने का फैसला उन खबरों के बाद किया जिनमें बताया गया था कि आइएसआइएस युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के लिए सोशल मीडिया का भरपूर इस्तेमाल कर रहा है। रहमान ने बताया, अभी तक कुछ भी तय नहीं हुआ है। इस मुद्दे पर मैं कई इमामों और इस्लामी विद्वानों से चर्चा कर रहा हूं। मुझे लगता है कि आइएसआइएस समेत कई अन्य समूह इस्लाम और कुरान की गलत व्याख्या करके युवाओं को भटका रहे हैं।

 

उन्होंने कहा, इसका विरोध होना चाहिए। इस्लाम खूनखराबा और हिंसा नहीं सिखाता। यह तो हमें शांति और भाईचारे की शिक्षा देता है। हमारा उद्देश्य इस्लाम की सही परिभाषा का सोशल मीडिया पर विभिन्न भाषाओं में प्रचार करना है ताकि इसका संदेश ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सके। इस बारे में अंतिम फैसला होने के बाद संयुक्त अभियान के तहत सोशल मीडिया पर संदेश का प्रचार अरबी, उर्दू, बंगाली, हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में किया जाएगा। रहमान का कहना है कि आतंकी समूह फेसबुक, वॉहट्सएप और यूट्यूब जैसी साइटों के जरिए दुनियाभर के युवाओं को आकर्षित कर रहे हैं। कुछ दिन पहले राज्य से एक युवा को आइएसआइएस और जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) से संबंध रखने के संदेह में गिरफ्तार किया गया था। वह कश्मीर में आतंक का प्रशिक्षण लेने भी गया था।

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