नई दिल्ली। इस साल मानसून सीजन सामान्य रहने की उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। मौसम विभाग ने अपने शुरुआत अनुमान को बदलते हुए अब मानसून सीजन में सामान्य से 88 फीसदी बारिश फीसदी की उम्मीद जताई है। विज्ञान, तकनीक एंव पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि भारतीय मौसम विभाग ने बारिश के पूर्वानुमान को 93 फीसदी से घटाकर 88 फीसदी कर दिया है। इस तरह इस बार बारिश 'सामान्य से कम' नहीं बल्कि सूखे जैसे हालात पैदा हो सकते हैं। यह लगातार दूसरा साल है जब देश में सूखे का खतरा मंडरा रहा है।
पिछले साल भी देश में सामान्य से 88 फीसदी कम बारिश हुई थी, जिसके चलते कई इलाकों में सूखे जैसे हालात पैदा हो गए थे। इसका असर कृषि उत्पादन पर भी पड़ा। मंगलवार को मौद्रिक नीति की समीक्षा जारी करते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने अर्थव्यवस्था के लिए मानसून को सबसे अनिश्चित कारक बताया है। औसत से 90 फीसदी से कम बारिश को सूखे की श्रेणी में रखा जाता है। सूखे का सबसे ज्यादा खतरा उत्तर-पश्चिमी भारत में है जहां सामान्य के मुकाबले सिर्फ 85 फीसदी बारिश का अनुमान है। हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख कृषि उत्पादक इलाके इसी क्षेत्र में आते हैं।
मानसून ने दिया मौसम विभाग को चकमा
इस साल मानसून शुरू से ही मौसम विभाग को चकमा दे रहा है। विभाग ने मानसून के 30 मई को केरल पहुंचने का अनुमान लगाया था जो सही साबित नहीं हुआ। अब मौसम विभाग मानसून को करीब हफ्ता भर लेट बताय रहा है। उम्मीद की जा रही है कि मानसून 4 या 5 जून तक ही केरल पहुंचेगा। देश की 60 फीसदी खेती पूरी तरह बारिश पर निर्भर है। ऐसे में कमजोर मानसून कृषि के साथ-साथ समूची अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ सकता है। खेती का संकट बढ़ने के साथ-साथ महंगाई में वृद्धि ग्रामीण मांग में कमी आ सकती है। रिजर्व बैंक ने भी कमजोर मानसून को देखते हुए जीडीपी की ग्रोथ के अनुमान को 7.8 फीसदी से घटाकर 7.6 फीसदी कर दिया है।
अमेरिकी एजेंसियों ने जताई सूखे की आशंका
मौसम विभाग भले ही कुछ दिन पहले तक मानसून के सामान्य रहने का दाव करता रहा लेकिन अमेरिकी मौसम एजेंसियों की मानें तो इस साल अल-नीनो के चलते भारत में सूखे जैसे हालात पैदा हो सकते हैं। मानसून में देरी की सबसे ज्यादा मार कपास, तिलहन और दालों की बुवाई पर पड़ सकती है। पिछले साल भी विदर्भ, राजस्थान, गुजरात और उत्तर भारत के कई जिलों में सूखे जैसे हालात पैदा हो गए थे।