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भारत-कनाडा संबंध 'अत्यंत महत्वपूर्ण', दोनों देशों को मिलकर करना चाहिए काम: प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत और कनाडा के बीच संबंध ‘बेहद महत्वपूर्ण’ हैं तथा दोनों...
भारत-कनाडा संबंध 'अत्यंत महत्वपूर्ण', दोनों देशों को मिलकर करना चाहिए काम: प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत और कनाडा के बीच संबंध ‘बेहद महत्वपूर्ण’ हैं तथा दोनों देशों को विभिन्न क्षेत्रों में मिलकर काम करना चाहिए ताकि नई दिल्ली और ओटावा दोनों लाभान्वित हो।

 

प्रधानमंत्री मोदी और उनके कनाडाई समकक्ष मार्क कार्नी ने मंगलवार को यहां जी7 शिखर सम्मेलन से इतर द्विपक्षीय चर्चा की।

 

कार्नी के मई 2025 में पदभार ग्रहण करने के बाद से दोनों नेताओं के बीच यह पहली मुलाकात थी।

 

मोदी ने कार्नी को चुनाव में ‘शानदार जीत’ के लिए बधाई देते हुए कहा, “मुझे यकीन है कि आपके नेतृत्व में हम सकारात्मक तरीके से मिलकर काम कर पाएंगे और भारत-कनाडा संबंधों को आगे ले जा पाएंगे।”

 

मोदी ने द्विपक्षीय बैठक से पहले अपने संबोधन में कहा, “मेरा मानना है कि भारत-कनाडा संबंध बेहद महत्वपूर्ण हैं और दोनों देशों को मिलकर काम करना चाहिए ताकि कई क्षेत्रों में दोनों पक्षों को लाभकारी सहयोग हासिल हो।” उन्होंने कहा कि कनाडाई कंपनियों ने भारत में बड़े पैमाने पर निवेश किया है और भारतीय लोगों ने भी कनाडा में काफी निवेश किया है।

 

मोदी ने कहा, “हम दोनों (भारत और कनाडा) लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खड़े हैं। हम साथ मिलकर लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत कर सकते हैं, मानवता को मजबूत कर सकते हैं।”  उन्होंने कहा, “अगर दोनों देश मिलकर काम करें और अपने सभी संसाधनों का बेहतर उपयोग करें, तो हम पूरी मानवता के कल्याण के लिए काम कर सकते हैं।” मोदी ने कहा, “मुझे पूरा विश्वास है कि हम यह कार्य करने में सक्षम होंगे।”

 

मोदी, जी7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए कार्नी के निमंत्रण पर कनाडा पहुंचे थे।

 

मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के साथ बैठक शानदार रही। जी7 शिखर सम्मेलन की सफलतापूर्वक मेजबानी के लिए उन्हें और कनाडा सरकार को बधाई।” उन्होंने कहा, “भारत और कनाडा लोकतंत्र, स्वतंत्रता और कानूनी शासन में दृढ़ विश्वास से जुड़े हुए हैं। प्रधानमंत्री कार्नी और मैं भारत-कनाडा मैत्री को गति देने के लिए मिलकर काम करने को तत्पर हैं। व्यापार, ऊर्जा, अंतरिक्ष, स्वच्छ ऊर्जा, महत्वपूर्ण खनिज, उर्वरक और अन्य जैसे क्षेत्र इस संबंध में अपार संभावनाएं प्रदान करते हैं।”

 

कार्नी ने बैठक से पहले अपने भाषण में कहा कि जी7 में मोदी की मेजबानी करना एक बड़ा सम्मान है। उन्होंने कहा कि भारत 2018 से जी7 में भाग ले रहा है और यह ‘आपके देश के महत्व, आपके नेतृत्व और उन मुद्दों के महत्व का प्रमाण है, जिनसे हम मिलकर निपटना चाहते हैं।

 

कार्नी ने कहा, “इनमें ऊर्जा सुरक्षा, ऊर्जा परिवर्तन से लेकर कृत्रिम बुद्धिमत्ता के भविष्य तक; अंतरराष्ट्रीय दमन, आतंकवाद, अन्य कारकों के खिलाफ हमारी लड़ाई तथा वो कार्य शामिल हैं, जो हम मिलकर कर सकते हैं।”

 

कार्नी ने कहा, “आपको (मोदी को) यहां देखकर मुझे बहुत खुशी हुई। मैं आपके यहां आने से बेहद खुश हूं और हमारी चर्चा का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा हूं।” मोदी ने कहा कि 2015 के बाद कनाडा आने और कनाडा के लोगों से संपर्क करने का अवसर पाकर उन्हें खुशी हुई। यह एक दशक में मोदी की पहली कनाडा यात्रा है।

 

उन्होंने कहा, “भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। जी-20 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता के दौरान हमने विश्व के कल्याण के लिए कई पहल कीं और आज हम जी-7 शिखर सम्मेलन के माध्यम से उस संकल्प को आगे बढ़ा रहे हैं और इस मंच की मदद से इसे क्रियान्वित भी करने जा रहे हैं।”

 

 

 

मोदी ने कहा, “हमारे लिए यह जनहित और वैश्विक हित की सेवा करने का एक शानदार अवसर है। भारत का हमेशा से इरादा वैश्विक वस्तुओं को बढ़ावा देना रहा है और आज जी-7 के माध्यम से हमारे पास वही अवसर है।”

 

कार्नी द्वारा मोदी को जी7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित करना कनाडा की नई सरकार की नई दिल्ली के साथ संबंधों को सुधारने की मंशा का संकेत है।

 

खालिस्तानी समर्थक अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद कनाडा और भारत के संबंधों में काफी खटास आ गयी थी। पिछले वर्ष अक्टूबर में ओटावा द्वारा भारतीय उच्चायुक्त और पांच अन्य राजनयिकों को निज्जर मामले से जोड़ने का प्रयास किये जाने के बाद भारत ने अपने शीर्ष अधिकारियों को वापस बुला लिया था।

 

भारत ने समान संख्या में कनाडा के राजनयिकों को निष्कासित भी कर दिया था

 

भारत ने कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की सरकार पर खालिस्तान समर्थक तत्वों को अपनी जड़े फैलाने की अनुमति देने का आरोप लगाया था। पेशे से अर्थशास्त्री कार्नी ने मार्च में कनाडा के नए प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था।

 

नयी दिल्ली ने ट्रूडो के प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद कहा था कि उसे ‘पारस्परिक विश्वास और संवेदनशीलता’ के आधार पर कनाडा के साथ संबंधों को फिर से बनाने की उम्मीद है।

 

 

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