दोनों देशों के नेताओं के बीच बातचीत के दौरान भारत ने मालदीव को आश्वस्त किया कि वह क्षेत्र में उसके सामरिक हितों को सुरक्षा प्रदान करने और उसके सशस्त्र बलों के क्षमता उन्नयन और नौवहन के विस्तार समेत सभी संभव मदद करने को तैयार है जो रक्षा क्षेत्र में कार्य योजना का हिस्सा होगा। भारत ने मालदीव में बंदरगाहों के विकास जैसी आधारभूत परियोजनाओं को आगे बढ़ाने का भी निर्णय किया है जहां चीन अपने पांव जमाने का प्रयास कर रहा है। दोनों देशों के बीच कराधान, पर्यटन, रक्षा अनुसंधान और संरक्षण के क्षेत्र में भी समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
यामीन के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, यह भारत और मालदीव के बीच सहयोग के इतिहास में महत्वपूर्ण दिन है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सीमापार आतंकवाद के खतरों, कट्टरपंथ की चुनौतियों और हिंद महासागर क्षेत्र में संपूर्ण सुरक्षा परिदृश्य के बारे में चर्चा हुई और दोनों पक्षों ने इन क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की। मोदी ने कहा, हम मालदीव की जरूरतों के प्रति सजग हैं। राष्ट्रपति यामीन ने इस बात पर सहमति व्यक्त की है कि मालदीव हमारे सामरिक और सुरक्षा हितों के प्रति संवेदनशील रहेगा। यह स्पष्ट है कि भारत और मालदीव के संबंधों के आयाम हमारे साझे सामरिक, सुरक्षा, आर्थिक और विकासात्मक लक्ष्यों से परिभाषित होते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि स्थिर और सुरक्षित मालदीव, भारत के सामरिक हित में है और उसकी चुनौती भारत की चिंता है।
अपनी ओर से यामीन ने कहा कि उनका देश इंडिया फर्स्ट पॉलिसी को अपनाता है और उसे मालदीव का सबसे महत्वपूर्ण मित्र मानता है। दक्षेस का जिक्र करते हुए मालदीव के राष्ट्रपति ने कहा कि मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को इस क्षेत्र की सही क्षमता का उपयोग करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। मोदी ने कहा, राष्ट्रपति यामीन और मैं दक्षिण एशिया में सीमापार आतंकवाद और कट्टपंथ के बढ़ते खतरों से अवगत है। सुरक्षा एजेंसियों के बीच सूचनाओं के आदान प्रदान और मालदीव पुलिस एवं सुरक्षा बलों के प्रशिक्षण एवं क्षमता उन्नयन हमारे सुरक्षा सहयोग के महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि भारत महत्वकांक्षी ईहेवन परियोजना में मालदीव का सहयोगी बनने को तैयार है।