नेशनल साइंस फाउंडेशन के नेशनल सेंटर फॉर साइंस एंड इंजीनियरिंग स्टैटिस्टिक्स (एनसीएसईएस) की रिपोर्ट में पाया गया कि वर्ष 2013 के भारत से जुड़े ये आंकड़े वर्ष 2003 की तुलना में 85 प्रतिशत का इजाफा दिखाते हैं।
वर्ष 2003 के बाद से फिलीपींस से आने वाले वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की संख्या भी 53 प्रतिशत बढ़ी है। वहीं हांगकांग और मकाउ समेत चीन से आने वाले वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की संख्या में इजाफा 34 प्रतिशत का रहा है। वर्ष 2003 से 2013 तक, अमेरिका में रहने वाले वैग्यानिकों और इंजीनियरों की संख्या 2.16 करोड़ से बढ़कर 2.90 करोड़ हो गई। इस इजाफे में महत्वपूर्ण बात यह है कि इसी अवधि में प्रवासी वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की संख्या 34 लाख से बढ़कर 52 लाख हो गई।
रिपोर्ट के अनुसार, विज्ञान और इंजीनियरिंग श्रमबल में प्रवासियों की संख्या 16 प्रतिशत से बढ़कर 18 प्रतिशत हो गई है। विज्ञान एवं इंजीनियरिंग श्रमबल में प्रवासियों की सबसे बड़ी संख्या (18 प्रतिशत) कंप्यूटर एवं गणित विज्ञान में कार्यरत हैं, जबकि दूसरी बड़ी संख्या (आठ प्रतिशत) इंजीनियरिंग में कार्यरत है।
लाइफ साइंटिस्ट, कंप्यूटर एंड मैथेमेटिकल साइंटिस्ट और सोशल एंड रिलेटेड साइंटिस्ट नामक तीन पेशों में वर्ष 2003 से 2013 तक प्रवासियों के लिए रोजगार में पर्याप्त वृद्धि देखने को मिली है। एनसीएसईएस की रिपोर्ट में पेश किए गए आंकड़े वर्ष 2013 की एसईएसटीएटी से लिए गए हैं। यह एेसा समाकलित डाटा सिस्टम है, जो साइंस एवं इंजीनियरिंग के क्षेत्रों में पढ़ाई करने वालों और रोजगार करने वालों की समग्र तस्वीर पेश करता है।