भारत और उज्बेकिस्तान ने मिलकर स्थिर, लोकतांत्रिक और समावेशी एवं समृद्ध अफ़ग़ानिस्तान के लिए मिलकर काम करने का निर्णय लिया है। भारत की यात्रा पर आए उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शेवकत मिर्जियोयेव के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री मोदी कहा कि ऐसा अफगानिस्तान भारत सहित पूरे क्षेत्र के हित में होगा।
प्रधानमंत्री के अनुसार उन्हें खुशी है कि इस संदर्भ में दोनों देशों के बीच नियमित रूप से सम्पर्क बनाए रखने का निर्णय लिया गया है।
भारत और उज्बेकिस्तान के बीच द्विपक्षीय व्यापार पर प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों ने साल 2020 के अंत तक इस व्यापार को एक विलियन डॉलर करने का लक्ष्य रखा है। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच प्रोफेशनल ट्रेड को लेकर बातचीत पहले ही शुरु हो चुकी है।
भारत ने उज्बेकिस्तान को सामाजिक सहायता के लिए लाइन ऑफ क्रेडिट देने का भी फैसला किया है। प्रधानमंत्री के अनुसार “उज़्बेकिस्तान के प्रस्ताव पर, हमने उज़्बेकिस्तान के सामाजिक क्षेत्रों में कम लागत के घरों और ऐसे और भी सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए 200 मिलियन डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट देने करने का निर्णय लिया है। इसी के साथ आगरा और समरकंद के बीच ट्विनिंग तथा गुजरात और उज्बेकिस्तान के अंदीजन के बीच समझौते हुए“
प्रधानमंत्री मोदी ने ईरान में बन रहे चाबाहर बंदरगाह को दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण कड़ी करार दिया।
वहीं दूसरी ओर अपनी पहली यात्रा पर भारत आए राषट्रपति शेवकत मिर्जियोयेव ने धार्मिक-सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनीतिक और बौद्धिकता से परिपूर्ण प्राचीन इतिहास की धरती भारत के लोगों के प्रति सम्मान व्यक्त किया।
पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की याद में ताशकंद में स्मारक बनाने और उनके नाम के स्कूल के पुनर्रोद्धार के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति का आभार प्रकट किया।
उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति की इस यात्रा में दोनों देशों के बीच कुल 17 एमओयू पर समझौते हुए, जिसमें रक्षा, पर्यटन, राजनयिकों को वीजा मुक्त यात्रा, कृषि आदि क्षेत्रों में सहयोग शामिल है।