भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) से जुड़े सूत्रों ने बृहस्पतिवार को बताया कि रोवर ‘प्रज्ञान’ लैंडर ‘विक्रम’ से बाहर निकल आया है और यह अब यह चंद्रमा की सतह पर घूमेगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ‘विक्रम’ लैंडर से रोवर ‘प्रज्ञान’ के सफलता पूर्वक बाहर आने पर इसरो की टीम को बधाई दी।
अपने आधिकारिक X हैंडल पर, इसरो ने कहा, "रोवर रैंप पर नीचे आया।" इसमें कहा गया, "चंद्रयान-3 रोवर: भारत में निर्मित--चंद्रमा के लिए बनाया गया! सीएच-3 रोवर लैंडर से नीचे उतरा और भारत ने चंद्रमा पर सैर की!" आधिकारिक सूत्रों ने पहले इस घटनाक्रम की पुष्टि की थी।
बता दें कि भारत का तीसरा मून मिशन चंद्रयान-3 सफल हो गया है। बुधवार शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 के लैंडर ने चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की। लैंडिंग के दो घंटे और 26 मिनट बाद लैंडर से रोवर भी बाहर आ गया है।
इसरो के महत्वाकांक्षी तीसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ के लैंडर मॉड्यूल (एलएम) ने बुधवार शाम चंद्रमा की सतह को चूमकर अंतरिक्ष विज्ञान में सफलता की एक नयी इबारत रची। वैज्ञानिकों के अनुसार, इस अभियान के अंतिम चरण में सारी प्रक्रियाएं पूर्व निर्धारित योजनाओं के अनुरूप ठीक से चलीं।
राष्ट्रपति मुर्मू ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर अपने पोस्ट में कहा, ‘‘मैं ‘विक्रम’ लैंडर से रोवर ‘प्रज्ञान’ के सफलता पूर्वक बाहर आने पर एक बार फिर इसरो की टीम और देशवासियों को बधाई देती हूं। विक्रम की लैंडिंग के कुछ घंटों बाद इसका बाहर आना चंद्रयान 3 के एक और चरण की सफलता को दर्शाता है।’’
After watching live telecast of moon landing of Vikram lander, President Droupadi Murmu conveyed her congratulatory message to ISRO and everyone associated with Chandrayaan-3 mission. pic.twitter.com/Q5Yj4tq1kI
— President of India (@rashtrapatibhvn) August 23, 2023
इसरो ने पहले कहा था कि 26 किलोग्राम का छह पहियों वाला रोवर लैंडर के पेट से चंद्रमा की सतह पर उतरने वाला था, इसके एक साइड पैनल को रैंप के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।
लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान)- जिनका कुल वजन 1,752 किलोग्राम है - को वहां के परिवेश का अध्ययन करने के लिए एक चंद्र दिन की अवधि (लगभग 14 पृथ्वी दिवस) तक संचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
हालांकि, इसरो अधिकारी एक और चंद्र दिवस तक इनके जीवन में आने की संभावना से इनकार नहीं करते हैं। रोवर अपनी उड़ान के दौरान चंद्रमा की सतह का इन-सीटू रासायनिक विश्लेषण करेगा। लैंडर और रोवर दोनों के पास चंद्र सतह पर प्रयोग करने के लिए वैज्ञानिक पेलोड हैं।
रोवर अपने पेलोड APXS - अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर - के माध्यम से चंद्रमा की सतह का अध्ययन करेगा, जिसमें चंद्रमा की सतह की समझ को और बढ़ाने के लिए रासायनिक संरचना प्राप्त करना और खनिज संरचना का अनुमान लगाना शामिल है।
चंद्र लैंडिंग स्थल के आसपास चंद्र मिट्टी और चट्टानों की मौलिक संरचना को निर्धारित करने के लिए प्रज्ञान के पास एक और पेलोड - लेजर प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (एलआईबीएस) भी है।
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने पहले कहा था, "लैंडर के लैंडिंग स्थल पर उतरने के बाद, रैंप और बाहर आने वाले रोवर की तैनाती होगी। इसके बाद सभी प्रयोग एक के बाद एक होंगे - इन सभी को चंद्रमा पर केवल एक दिन में पूरा करना होगा, जो कि 14 दिन है।"
बता दें कि चंद्रमा पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’, यह एक ऐसी सफलता है जिसे न केवल इसरो के शीर्ष वैज्ञानिक, बल्कि भारत का हर आम और खास आदमी टीवी की स्क्रीन पर टकटकी बांधे देख रहा था। देश में अनेक स्कूलों में बच्चों के लिए इस ऐतिहासिक घटना का सीधा प्रसारण किया गया।
यह सफलता इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल में रूस का ‘लूना 25’ चांद पर उतरने की कोशिश करते समय दुर्घटना का शिकार हो गया था।
चांद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में सफलता हासिल कर भारत ऐसी उपलब्धि प्राप्त करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है। इससे पहले अमेरिका, पूर्ववर्ती सोवियत संघ और चीन के नाम ही यह रिकॉर्ड था, लेकिन ये देश भी अब तक चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर विजय प्राप्त नहीं कर पाए हैं। हालांकि, भारत के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने यह साहसिक कारनामा सफलतापूर्वक कर दिखाया है।