मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में विदेश मंत्री का पद संभालकर चौंकानेवाले पूर्व राजनयिक और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत और वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर कई बातें कही। गुरुवार को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान विदेश मंत्री ने कहा कि पिछले पांच वर्षों के दौरान सरकार ने देश में बदलाव की उम्मीदों के न सिर्फ जिंदा रखा और बल्कि इस विश्वास को और ज्यादा मजबूत किया है।
ग्लोबलाइजेशन को लेकर कही ये बात
विदेश मंत्री ने कहा कि ग्लोबलाइजेशन इस समय तनाव में है, ग्लोबलाइजेशन की कई मान्यताओं, ग्लोबल सप्लाई चेन, मोबिलिटी ऑफ टैलंट, मार्केट ऐक्सेस उन सभी मान्यताओं को अब हम एक ही डिग्री और एक ही आत्मविश्वास के साथ बना सकते हैं।
भारतीय विदेश नीति के लिए इन पहलुओं पर रखना होगा ध्यान
एस. जयशंकर ने कहा कि आज अगर हम आर्थिक सुधार को बढ़ावा देना चाहते हैं, तो मुझे लगता है कि भारतीय विदेश नीति के लिए इसके बाहरी पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने, साझेदारी और तंत्र बनाने के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी निभानी पड़ेगी, जो भारतीय व्यवसायों को देश के बाहर अपना व्यवसाय करने में मदद करें। दूसरा परिवर्तन मैं कहूंगा कि दुनियाभर में आपने व्यापक रूप से राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया है और कारण बहुत जटिल हैं कि राष्ट्रवाद को कई स्थानों पर चुनावी रूप से मान्य किया गया है। यह हर जगह अलग-अलग है लेकिन कहीं न कहीं इसका संदेश एक है।
'यह वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में बहुत स्पष्ट बदलाव का संकेत है'
विदेश मंत्री ने कहा कि तीसरी बात, जो वास्तव में दीर्घकालिक परिवर्तन है, वैश्विक पुन: संतुलन की तरह है, इसका सबसे तेज प्रभाव इस पर पड़ा, इसीलिए चीन आज विकास की राह पर है, कुछ हद तक भारत पर भी इसका असर पड़ा है जिससे विकास की राह पर आ गया है, लेकिन कुल मिलाकर यदि आप इसे 20 वर्ष की समय सीमा में देखते हैं, तो यह वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में बहुत स्पष्ट बदलाव का संकेत है।
'बिम्सटेक में हम ऊर्जा और भविष्य की संभावना देखते हैं'
उन्होंने कहा कि आज जोर एकीकरण पर है, विभिन्न विभागों और मंत्रालयों के लिए मुझमें एक साथ काम करने की क्षमता है। मुझे एक हफ्ते से भी कम समय हुआ मंत्री बने लेकिन मैं वित्त और वाणिज्य मंत्री के साथ अधिक समय बिताया है। उन्होंने कहा कि सार्क देशों की कुछ समस्याएं हैं और मुझे लगता है कि हम सभी जानते हैं कि आतंकवाद के मुद्दे को एक तरफ रखने के लिए भी क्या है, कनेक्टिविटी और व्यापार के मुद्दे। अगर आप देखें कि बिम्सटेक (BIMSTEC) के नेताओं को पीएम मोदी के शपथ ग्रहण के लिए क्यों आमंत्रित किया गया था, क्योंकि हम बिम्सटेक (BIMSTEC) में ऊर्जा और भविष्य की संभावना देखते हैं।