देश में राष्ट्रीय एकता व अखंडता के लिए की गई सेवाओं को प्रोत्साहित एवं संरक्षित करने के लिए उनको इस पुरस्कार से अलंकृत किया जाएगा। एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. रनसिंह परमार ने बताया कि राष्ट्रीय एकता एवं सद्भावना के विचार को बनाए रखने के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपने शताब्दी वर्ष में इन्दिरा गांधी के नाम पर राष्ट्रीय एकता पुरस्कार की स्थापना की थी। कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी द्वारा श्रीमती इन्दिरा गांधी के बलिदान दिवस पर 31 अक्टूबर को नई दिल्ली में राजगोपाल पी.व्ही. को इस पुरस्कार के तहत एक प्रशस्ति-पत्र एवं 10 लाख रुपए की नकद राशि दी जाएगी।
एकता परिषद के सचिव अनिल कुमार गुप्ता ने बताया कि राजगोपाल ने देश के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न मुद्दों पर अहिंसात्मक तरीके से देश में एकता बनाए रखने के लिए काम किया है। चंबल घाटी में विकास और शांति स्थापना के लिए राजगोपाल के प्रयासों से बागियों द्वारा आत्मसमर्पण किया गया था। इसके बाद उन्होंने बागियों के पुनर्वास के कार्य को आगे बढ़ाया और वंचितों के जमीन और जंगल के अधिकार के लिए अभियान चलाया।
80 के दशक में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उनको बंधुआ मुक्ति के लिए आयुक्त भी नियुक्त किया गया था। देश के विभिन्न क्षेत्रों में युवा शिविर, पदयात्रा और रैलियों के माध्यम से वंचितों के जीवन जीने के साधनों पर अधिकार के लिए अहिंसात्मक संघर्ष-संवाद और राष्ट्रीय एकता को बढावा देने का निरंतर वे कार्य कर रहे हैं। जनादेश 2007 और जनसत्याग्रह 2012 जनआंदोलन का नेतृत्व करते हुए उन्होंने हजारों लोगों को अहिंसात्मक संघर्ष के लिए प्रेरित करते हुए ग्वालियर से दिल्ली तक की पदयात्रा की थी।