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विदाई समारोह में तबादले पर बोले जस्टिस मुरलीधर, पहले से दी गई थी जानकारी

जस्टिस एस मुरलीधर ने गुरुवार को कहा है कि उनके तबादले को लेकर 17 फरवरी को जानकारी दे दी गई थी। इसलिए...
विदाई समारोह में तबादले पर बोले जस्टिस मुरलीधर, पहले से दी गई थी जानकारी

जस्टिस एस मुरलीधर ने गुरुवार को कहा है कि उनके तबादले को लेकर 17 फरवरी को जानकारी दे दी गई थी। इसलिए इसमें कोई समस्या है। बता दें कि एस मुरलीधर को पिछले महीने नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में हुई हिंसा पर सुनवाई के बीच पंजाब-हरियाणा में ट्रांसफर कर दिया गया था। जिसके बाद कई तरह के सवाल खड़े किए गए थे। जस्टिस एस मुरलीधर के 26 फरवरी की रात को केंद्र द्वारा जारी किए गए अधिसूचना के बाद विवाद खड़ा हो गया था। उसी दिन उनकी अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली पुलिस को भड़काऊ भाषण देने के मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तीन नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश देते हुए कड़ी फटकार लगाई थी।

बता दें, दिल्ली में भड़की हिंसा में अब तक 53 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 200 से अधिक लोग घायल है। 24-25 फरवरी को हुई हिंसा के बाद कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने यह आदेश दिया था।

दी गई थी सूचना

दिल्ली उच्च न्यायालय में आयोजित विदाई समारोह में उन्होंने कहा, “17 फरवरी को भारत के चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े से पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में उनके ट्रांसफर के लिए कॉलेजियम द्वारा की गई सिफारिश के बारे में सूचना दी गई थी।” जिसके बाद उन्होंने सूचना को स्वीकार करते हुए कहा था कि उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय से पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में ट्रंसफर को लेकर कोई समस्या नहीं है।

12 फरवरी को हुई थी सिफारिश

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 12 फरवरी को अपनी बैठक में जस्टिस मुरलीधर की दिल्ली हाईकोर्ट से पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में पेशी की सिफारिश की थी।

बार एसोसिएशन ने किया था फैसले का विरोध

दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (डीएचसीबीए) ने पिछले सप्ताह सिफारिश की निंदा की और इसके खिलाफ सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया। बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम द्वारा सबसे अच्छे न्यायाधीशों में से एक के ट्रांसफर पर सदमे और निराशा व्यक्त की थी। उनके स्थानांतरण की निंदा करते हुए, बार एसोसिएशन ने कहा था, "इस तरह के तबादले न केवल हमारे महान संस्थान के लिए हानिकारक हैं, बल्कि न्याय वितरण प्रणाली में आम लोगों के विश्वास को मिटाने और अव्यवस्थित करने के लिए भी हैं।"

दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन ने भी इस मुद्दे पर फिर से विचार करने और मुरलीधर को ट्रांसफर करने के कदम को वापस लेने का अनुरोध किया था। 

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