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ये आईपीएस अधिकारी फणनवीस को दे रही है उद्धव सरकार के खिलाफ सबूत? भाजपा भुना लेगी मौका

महाराष्ट्र पुलिस विभाग में ट्रांसफर-पोस्टिंग रैकेट चलाने का आरोप लगाने वालीं राज्य की पूर्व...
ये आईपीएस अधिकारी फणनवीस को दे रही है उद्धव सरकार के खिलाफ सबूत? भाजपा भुना लेगी मौका

महाराष्ट्र पुलिस विभाग में ट्रांसफर-पोस्टिंग रैकेट चलाने का आरोप लगाने वालीं राज्य की पूर्व इंटेलीजेंस कमिश्नर रश्मि शुक्ला मुश्किल में पड़ सकती हैं। दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र के चीफ सेक्रेटरी सीताराम जे. कुंटे ने गुरुवार को अपनी जांच रिपोर्ट सीएम उद्धव ठाकरे को दी है। जिसमें रश्मि पर मोबाइनल फोन टैपिंग करने और गलत आधार पर जानकारी देने के आरोप लगाए गए हैं। इसके अलावा उन पर सरकार को गुमराह करने का भी आरोप लगाया गया है।

सीएम को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि आईपीएस अधिकारी रश्मि ने इंडियन टेलीग्राफ अधिनियम के तहत फोन टैपिंग के लिए आधिकारिक अनुमति का गलत इस्तेमाल किया है। शुक्ला ने देश की सुरक्षा मामले के आधार पर बताकर फोन टैपिंग करने की अनुमति मांगी थी, लेकिन उन्होंने सरकार को गुमराह कर निजी कॉल रिकॉर्ड की।

इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि जब रश्मि से गलत आधार पर फोन रिकॉर्डिंग की इजाजत लेने के लिए जवाब मांगा तो उन्होंने अपनी गलती स्वीकार की और माफी मांगते हुए रिपोर्ट वापस लेने की बात कही थी। उस समय उनके द्वारा अपने पति के कैंसर से मौत और बच्चों की पढ़ाई का भी हवाला दिया गया था। इतना ही नहीं उन्होंने सीएम और गृह मंत्री अनिल देशमुख से मुलाकात कर माफी भी मांगी थी। पारिवारिक स्थिति को देखते हुए उन्हें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेज दिया गया था।

इस पूरे मामले पर मुख्य सचिव का कहना है कि रश्मि शुक्ला ने टॉप सीक्रेट रिपोर्ट सार्वजनिक की है। इस गंभीर मामले में उन पर कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। रिपोर्ट में बताया गया कि रश्मि 25 अगस्त 2020 की रिपोर्ट में गृह मंत्री देशमुख समेत कई प्रमुख हस्तियों के खिलाफ झूठा आरोप लगाया गया है।

उन्होंने बताया कि ट्रांसफर और उसके बाद के सरकारी फैसलों पर आईपीएस रश्मि की रिपोर्ट से कोई नाता नहीं है। उस दौरान जितनी भी नियुक्तियां हुईं थी वह आधिकारिक समिति की सिफारिशों के मुताबिक थी। जिसमें तत्कालीन जीजीपी सुबोध जायसवाल, मुंबई के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह और अन्य अधिकारी शामिल थे।

बता दें कि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इस मामले को लेकर लगातार तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और गृह मंत्री अनिल देशमुख पर निशाना साथ रहे हैं। 

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