दिल्ली की एक विशेष अदालत ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम और उनके पुत्र कार्ति चिदंबरम से जुड़े आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में इन्द्राणी मुखर्जी को सरकारी गवाह बनने की अनुमति गुरुवार को दे दी। इंद्राणी ने कोर्ट में गवाह बनने की याचिका दाखिल की थी।
विशेष जज अरुण भारद्वाज ने आईएनएक्स मीडिया मामले में अपनी मर्जी से सरकारी गवाह बनने को राजी हुई मुखर्जी को माफी दे दी। वह भी इस मामले में आरोपी थी। अदालत ने मुखर्जी के लिए पेशी वारंट जारी की। वह एक अन्य मामले में मुंबई की जेल में बंद है।
सीबीआई ने पहले अदालत में कहा था कि उसके पास बातचीत के रूप में ऐसे साक्ष्य हैं जिनके बारे में केवल इंद्राणी को पता है। इसलिए इससे मामले को मजबूती मिलेगी। पिछले साल इंद्राणी ने कोर्ट में आईएनएक्स मीडिया से जुड़ा हुआ एक गोपनीय बयान दिया था। इसके बाद उसने इस मामले में गवाह बनने के लिए याचिका दायर की थी।
पी चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान लगा अनियमितता का आरोप
15 मई 2017 को केंद्रीय जांच ब्यूरो ने फॉरन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (एफआईपीबी) की अनियमितता के आरोप में एफआईआर दर्ज की थी। आरोप था कि एएफआईपीबी ने आईएनएक्स मीडिया को 2007 में वित्त मंत्री के तौर पर पी चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान विदेश से 305 करोड़ रुपये फंड देने के लिए मंजूरी देने में अनियमितता की थी। एफआईआर के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय ने प्रिवेन्शन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था।
ईडी कर रही है मामले की जांच
तीन फरवरी को केंद्रीय कानून मंत्रालय ने केंद्रीय जांच एजेंसी को चिदंबर के खिलाफ जांच की अनुमति दे दी थी। ईडी ने कार्ति की 54 करोड़ रुपये की संपत्ति और एक कंपनी भी अटैच कर दी थी। ईडी यह जांच कर रही है कि कैसे एफआईपीबी ने ग्रुप को 2007 में क्लियरेंस दे दिया। ईडी का दावा है कि अभी तक की जांच में यह बात सामने आई है कि आईएनएक्स मीडिया के निदेशक पीटर मुखर्जी और इंद्राणी मुखर्जी ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता से मुलाकात की थी ताकि उनके आवेदन में देरी न हो।
एजेंसी इनपुट