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बूस्टर शॉट 'ओमिक्रोन' के खिलाफ कारगर है या नहीं? यहां जानें इससे जुड़े सभी सवालों के जवाब

अगर आप कोविड वैक्सीन की दूसरी डोज ले चुके हैं और इसको लिए 6 महीने से ज्यादा वक्त बीत चुका है, तो आपको...
बूस्टर शॉट 'ओमिक्रोन' के खिलाफ कारगर है या नहीं? यहां जानें इससे जुड़े सभी सवालों के जवाब

अगर आप कोविड वैक्सीन की दूसरी डोज ले चुके हैं और इसको लिए 6 महीने से ज्यादा वक्त बीत चुका है, तो आपको बूस्टर शॉट बुक कर लेना चाहिए, क्योंकि बूस्टर शॉट आपको कोविड के खिलाफ अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करेगा, जिसमें नया ओमीकोन संस्करण भी शामिल है।

हालांकि बूस्टर को लेकर नए रिसर्च अभी जारी हैं, लेकिन प्रारंभिक आंकड़ों से पता चलता है कि फाइजर का बूस्टर शॉट ओमीक्रोन के खिलाफ वहीं सुरक्षा प्रदान करता है, जैसा कि वायरस के ओरिजिनल स्ट्रेन के लिए वैक्सीन का डबल डोज करता था।

बूस्टर शॉट क्यों लें?

जब आपको कोविड वैक्सीन की पहली खुराक  लगती है, तो आपका शरीर स्पाइक प्रोटीन नामक वायरस के एक हिस्से के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न करता है।

यदि आप सार्स-कोव-2 वायरस के संपर्क में हैं, तो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस को जल्द पहचान सकती है और उससे लड़ सकती है।

कोविड वैक्सीन की एकल खुराक के लिए इम्मयून रिस्पॉन्स आम तौर पर कम समय के लिए होता है। इसलिए एक मजबूत और लंबे समय तक चलने वाली प्रतिक्रिया के लिए दूसरी खुराक की आवश्यकता होती है।

अगर इम्मयून रिस्पांस कोविड के खिलाफ सुरक्षा के लिए जरूरी आवश्यक स्तर से कम हो जाता है, तो आपका इम्मयून सिस्टम वायरस के संपर्क में आने पर संक्रमण को रोकने में सक्षम नहीं हो पाता है। इसलिए कुछ समय बाद दी जाने वाली वैक्सीन की खुराक शरीर में एंटीबॉडी के स्तर को और बढ़ाती है, जिससे वायरस से लड़ने में आसान होता है।


डबल डोज के बाद प्रतिरक्षा कितनी कम हो जाती है?

कोविड वैक्सीन की दूसरी खुराक के छह महीने बाद या उससे अधिक की अवधि में एंटीबॉडी कम हो जाती है। टीकाकरण पूरा करने के छह महीने बाद, कोविड संक्रमण के खिलाफ टीके की प्रभावशीलता औसतन 18.5 प्रतिशत कम हो जाती है।

हालांकि सकारात्मक तथ्य यह है कि अस्पताल में भर्ती होने या मृत्यु सहित गंभीर कोविड बीमारी से सुरक्षा में केवल 8 प्रतिशत की कमी दिखी है। ऐसा इसलिए संभव है क्योंकि इम्मयून रिस्पॉन्स के अन्य घटक (टी सेल्स और इम्मयून मेमोरी सेल्स) एंटीबॉडी से अधिक समय तक शरीर में रहते हैं और गंभीर बीमारी को रोकते हैं।

बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों के बीच सुरक्षा में कमी एक चिंता का विषय है क्योंकि युवा, स्वस्थ लोगों की तुलना में बुर्जुगों में टीकों के प्रति कमजोर इम्मयून रिस्पॉन्स होता है।

बूस्टर खुराक कितनी प्रभावी हैं?

बूस्टर खुराक के बाद शरीर में एंटीबॉडी का लेवल वैक्सीन के डबल डोज से भी ज्यादा होता है। हालांकि दो खुराक कोविड संक्रमण के ओरिजिनल स्ट्रेन में लाभकारी थी। लेकिन, डेल्टा स्ट्रेन के खिलाफ उसकी प्रतिक्रिया कमजोर हो रही थी। बूस्टर शॉट फिर से सुरक्षा को सामान्य स्तर पर बहाल कर देता है।

इज़राइल में जिन लोगों ने बूस्टर खुराक (टीकाकरण पूरा करने के पांच या अधिक महीने बाद) प्राप्त किया था, उन लोगों में दूसरों की तुलना में संक्रमण दर दस गुना कम थी, जिन्होंने केवल प्रारंभिक दो-खुराक ही लिए हैं।

सुरक्षा के दृष्टिकोण से, बूस्टर खुराक की साइड इफेक्ट, प्रकार और आवृत्ति के हिसाब से दूसरी खुराक के समान है।

बूस्टर खुराक के रूप में कौन सा टीका लगवाना चाहिए?

ऑस्ट्रेलिया में उपलब्ध दो एमआरएनए कोविड वैक्सीन (फाइजर और मॉडर्ना) अब तक बूस्टर खुराक के रूप में उपयोग के लिए स्वीकृत हैं।

हाल ही में एक क्लिनिकल परीक्षण में कई कोविड टीके दिखाए गए, जिनमें से तीन ऑस्ट्रेलिया में उपलब्ध हैं (फाइजर, मॉडर्न और एस्ट्राजेनेका), और नोवावैक्स और जॉनसन के टीके, फाइजर या एस्ट्राजेनेका टीकों के एक कोर्स के बाद मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न करते हैं।

कोविड टीकों के प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं के बारे में अब तक हम जो जानते हैं, उसके आधार पर, बूस्टर के रूप में दिए गए इनमें से कोई भी टीका आपके संक्रमण के जोखिम को कम करने में प्रभावी होना चाहिए, भले ही आपको शुरू में कोई भी टीका मिल गया हो।

एमआरएनए टीकों के साथ उच्चतम प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाएं देखी गईं हैं, लेकिन यह बताना जल्दबाजी होगी कि क्या ये बूस्टर के रूप में उपयोग किए जाने पर कोविड संक्रमण के खिलाफ बेहतर सुरक्षा प्रदान करते हैं, या अन्य टीकों की तुलना में प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाएं कितनी जल्दी खत्म हो जाएंगी।

बूस्टर खुराक लेने का सबसे अच्छा समय कब है?

बूस्टर खुराक आपके एंटीबॉडी के स्तर को बढ़ाने के लिए समयबद्ध हैं। इससे पहले कि वे सुरक्षात्मक सीमा (प्रोटेक्टिव थ्रेसोल्ड) से नीचे आ जाएं, हमें बूस्टर ले लेनी चाहिए। हालांकि, कोविड के साथ कठिनाई यह भी है कि हम अभी तक यह नहीं जानते हैं कि सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा की सीमा क्या है।

कोई व्यक्ति संक्रमण से कितना प्रभावित होगा इसमें समय के अन्य कारक भी शामिल होते हैं, जैसे कि समुदाय में कितनी बीमारी है और टीके की उपलब्धता कितनी है। यूनाइटेड किंगडम जैसे कुछ देशों ने इनिशियल कोर्स के तीन महीने बाद ही बूस्टर खुराक लेने की सिफारिश की है।

यूके में कोविड के दैनिक मामले बहुत अधिक हैं, और सर्दियों में जब अस्पताल अक्सर इन्फ्लूएंजा सहित अन्य सामान्य श्वसन बीमारियों के कारण भरे होते हैं, तब ओमीकॉर्न के मामलों में वृद्धि होने की संभवना है। उस संदर्भ में, बूस्टर डोज कारगर साबित हो सकते हैं।

हालांकि, एक छोटे अंतराल का मतलब यह हो सकता है कि इम्मयून रिस्पॉन्स में वृद्धि उतनी अधिक या लंबे समय तक चलने वाली नहीं है। कोविड वैक्सीन की पहली और दूसरी खुराक के बीच का लंबा अंतराल अधिक प्रभावी है।

यह देखते हुए कि कोविडवायरस अन्य देशों की तुलना में ऑस्ट्रेलिया में बहुत कम स्तर पर है और वैक्सीन कवरेज आम तौर पर अधिक है, शुरुआती टीकाकरण के छह महीने बाद बूस्टर खुराक उचित लगता है।

इस टीकाकरण कार्यक्रम के साथ, ऑस्ट्रेलिया में अधिकांश वयस्क 2022 के विंटर से पहले बूस्टर शॉट के लिए पात्र होंगे।

क्या बूस्टर ओमिक्रोन से बचाएगा?

हम अभी भी सीख रहे हैं कि कैसे ओमिक्रोन वेरिएंट इतने म्यूटेशन के बाद हमारी मौजूदा प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को कम प्रभावी बना सकता है।

प्रारंभिक अध्ययनों से पता चलता है कि फाइजर वैक्सीन की दो खुराकें ओमिक्रोन के खिलाफ कुछ प्रतिरक्षा प्रदान करती हैं, लेकिन उतनी नहीं जितना पिछले वेरिएंट के खिलाफ प्रदान करती थी। इसका मतलब है कि हमें पूरी तरह से टीका लगाए गए लोगों में भी संक्रमित होने की भी संभावना है।

हालांकि एक बूस्टर शॉट वैक्सीन की दो खुराक ले चुके लोगों की इम्मयून बूस्ट करती है। बूस्टर शॉट का कोरोना से होने वाली गंभीर बीमारी के खिलाफ भी अच्छी सुरक्षा प्रदान कर सकती है।

जैसे-जैसे बूस्टर की प्रभावशीलता पर अधिक डेटा सामने आता है और यदि ओमिक्रोन के मामले तेजी से बढ़ते हैं, तो बूस्टर खुराक लेना प्रभावकारी सिद्ध हो सकता है। हालांकि अच्छी बात ये है कि अभी तक कोरोना का नया वेरिटेंट ज्यादा घातक सिद्ध नहीं हुआ है।

फिर भी हम भविष्य में, बूस्टर खुराक को नए वेरिएंट के लिए एडॉप्ट कर सकते हैं। जैसे कि इन्फ्लूएंजा के टीके हर साल संशोधित होते रहते है।

एमआरएनए जैसी नई वैक्सीन तकनीकों का लाभ यह है कि नए प्रकार के टीकों के निर्माण में लगने वाला समय केवल लगभग 100 दिन है। इसलिए यदि कोई नया वैक्सीन-प्रतिरोधी वेरिएंट सामने आता है, तो हमें अपडेटेड वैक्सीन के लिए बहुत लंबा इंतजार करने की आवश्यकता नहीं हो सकती है।

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