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क्या मोदी सरकार की प्राथमिकता से ‘गंगा’ बाहर? इस बार गंगा सरंक्षण मंत्रालय गायब

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में गंगा सफाई को लेकर जोर-शोर से चर्चा की गई थी। बकायदा इसके लिए ‘जल...
क्या मोदी सरकार की प्राथमिकता से ‘गंगा’ बाहर?  इस बार गंगा सरंक्षण मंत्रालय गायब

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में गंगा सफाई को लेकर जोर-शोर से चर्चा की गई थी। बकायदा इसके लिए ‘जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय’ भी बनाया गया था। लेकिन इस बार नवगठित मोदी सरकार के मंत्रालयों में से ‘गंगा’ का नाम गायब है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या अब मोदी सरकार के दूसरे दौर में गंगा नदी सरकार की प्राथमिकता में नही है?

इस बार नई सरकार में एक नया मंत्रालय 'जल शक्ति' नाम से गठित किया गया है और गजेंद्र सिंह शेखावत को इसका मंत्री बनाया गया है। जोधपुर से सांसद गजेंद्र सिंह ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को लोकसभा चुनावों में हराया था। गजेंद्र पूर्व में भी मोदी सरकार में कृषि राज्य मंत्री का जिम्मा संभाल चुके हैं।

‘जल शक्ति’ मंत्रालय पहले के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय को पुनर्गठित करके बनाया गया है। पिछली सरकार में इसकी जिम्मेदारी नितिन गडकरी के पास थी। पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय को भी इसमें जोड़ा गया है।

जोर-शोर से बनाया गया था मंत्रालय, उमा को दी गई थी कमान

उल्लेखनीय है कि बीजेपी ने वर्ष 2014 के चुनावों में गंगा को अगले 5 साल में प्रदूषण मुक्त करने का वादा किया था। गंगा के तट पर स्थित वाराणसी से संसद के लिए मई 2014 में निर्वाचित होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, ‘मां गंगा की सेवा करना मेरे भाग्य में है।’ लिहाजा मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती को इस मंत्रालय का का जिम्मा दिया गया था। उसके बाद 2017 में नमामि गंगा प्रोजेक्ट से हटा दी गई और नितिन गडकरी के हिस्से यह मंत्रालय आया।

पहले  कार्यकाल में गंगा सफाई की सोच को कार्यान्वित करने के लिए सरकार ने गंगा नदी के प्रदूषण को समाप्त करने और नदी को पुनर्जीवित करने के लिए ‘नमामि गंगे’ नामक एक एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन का शुभारंभ किया। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नदी की सफाई के लिए बजट को चार गुना करते हुए पर 2019-2020 तक नदी की सफाई पर 20,000 करोड़ रुपए खर्च करने की केंद्र की प्रस्तावित कार्य योजना को मंजूरी दे दी और इसे 100% केंद्रीय हिस्सेदारी के साथ एक केंद्रीय योजना का रूप दिया। हालांकि पिछले साल केंद्र सरकार ने मार्च 2019 तक गंगा नदी के 80 फीसदी तक साफ हो जाने का भरोसा जताया था। सरकार की यह बात कहां तक सही है ये तो सब के सामने है लेकिन अब  सवाल उठ रहे हैं कि मंत्रालय से गंगा का नाम गायब होने का क्या निहितार्थ हैं?

 

 

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