इशरत जहां एनकाउंटर मामले में गुरुवार को गुजरात की सीबीआई कोर्ट ने गुजरात के पूर्व आईपीएस ऑफिसर डीजी वंजारा और एन.के अमीन को आरोपमुक्त कर दिया है। दोनों ने कोर्ट में उनके खिलाफ की जा रही कार्रवाई को खत्म करने की अर्जी दी थी जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है।
इशरत जहां कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में सेवानिवृत्त पुलिस अफसरों डीजी वंजारा और पुलिस अधीक्षक एन के अमीन ने अदालत से अनुरोध किया था कि राज्य सरकार ने उनके खिलाफ अभियोजन चलाने की सीबीआई को मंजूरी नहीं दी है, जो सीआरपीसी की धारा 197 के तहत जरूरी है। लिहाजा उनके खिलाफ मामले की सुनवाई को बंद किया जाए। मामले पर विशेष न्यायाधीश जे के पांड्या ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अभियोजन के लिए मंजूरी के अभाव में दोनों पूर्व अधिकारियों को मामले से छुट्टी देनी चाहिए।
अमीन और वंजारा ने कोरेट से की ये अपील
वंजारा और अमीन ने कोर्ट से अपील की है कि इशरत जहां फर्जी एनकाउंटर मामले में उनके खिलाफ चल रही कार्यवाही को खत्म कर दिया जाए। कोर्ट ने अब उनकी याचिका को स्वीकार कर लिया है। इस पर दोनों अधिकारियों के वकील तथा इशरत जहां की मां शमीमा कौसर की ओर से पेश हुए अधिवक्ता के बीच बहस पिछले दिनों सीबीआई के विशेष न्यायाधीश जे के पांड्या के सामने पूरी हो गई थी। कौसर ने पूर्व अधिकारियों की अर्जियों का विरोध किया। बहरहाल,गुजरात सरकार ने वंजारा और अमीन के खिलाफ अभियोजन चलाने की इजाजत नहीं दी है।
क्या कहा गया है इशरत जहां की मां की याचिका में
इशरत जहां की मां शमीमा कौसर की याचिका में कहा गया है कि सीआरपीसी की धारा 197 के तहत लोक सेवक पर अभियोजन की मंजूरी की जरूरत होती है। लेकिन यह इस मामले पर लागू नहीं होता है क्योंकि यह अपहरण, कैद रखने और हत्या का मामला है, जो लोक सेवक की आधिकारिक ड्यूटी के दायरे में नहीं आता है। अदालत ने इससे पहले दोनों सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों के आरोपमुक्त किए जाने के आवेदन को खारिज कर दिया था,जिन्हें सीबीआई ने 2004 के इशरत जहां और तीन अन्य के फर्जी मुठभेड़ मामले में आरोपी के तौर पर नामित किया था।
'अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी है'
पिछले साल अगस्त में उनके आरोपमुक्त किए जाने के आवेदन को खारिज करते हुए अदालत ने सीबीआई से जानकारी मांगी थी कि क्या उसने दोनों अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी है,जिससे वह दो पूर्व पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आरोप तय करने के साथ आगे की कार्यवाही के लिए आगे बढ़ सके।
जानें, क्या है मामला
15 जून, 2004 को अहमदाबाद एयरपोर्ट के पास सुनसान इलाके में पुलिस ने कथित फर्जी मुठभेड़ में मुंबई की 19 वर्षीय कॉलेज छात्रा इशरत जहां, उसके साथी जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लई, अमजद अली अकबर अली राणा और जीशान जौहर की हत्या कर दी गई थी। अपराध शाखा के अधिकारियों का दावा था कि इन चारों का आतंकियों से संबंध था और उनके इशारे पर ही इन लोगों ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को मारने की साजिश रची थी।