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भारत का पहला मिशन सूर्य 'आदित्य-एल1' लॉन्च, लैग्रेंजियन-1 बिंदु तक पहुंचने में लगेंगे 125 दिन

भारत का पहला सूर्य मिशन आदित्य एल1 आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च...
भारत का पहला मिशन सूर्य 'आदित्य-एल1' लॉन्च, लैग्रेंजियन-1 बिंदु तक पहुंचने में लगेंगे 125 दिन

भारत का पहला सूर्य मिशन आदित्य एल1 आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च हो गया है। लॉन्चिंग के दौरान इसे देखने आए लोगों की भारी भीड़ भी मौजूद रही। इसमें कोई दोराय नहीं कि चंद्रयान 3 की सफलता के बाद सभी देशवासियों की नज़र इस मिशन पर है। सूर्य के अध्ययन के लिए ‘आदित्य एल-1’ को धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर ‘लैग्रेंजियन-1’ बिंदु तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे।

इसरो के आदित्य एल1 अंतरिक्ष यान को कवर करने वाला पेलोड पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर निकलते ही अलग हो गया है। फिलहाल इसरो के अनुसार तीसरा चरण अलग कर दिया गया है।

इस मौके पर केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) शार, श्रीहरिकोटा में मिशन नियंत्रण केंद्र में उपस्थित रहे।

बता दें कि आदित्य-एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला वर्ग है और इसे सुबह 11.50 बजे यहां से इसरो के विश्वसनीय ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) का उपयोग करके प्रक्षेपित किया जा रहा है।

अध्ययन को अंजाम देने के लिए आदित्य-एल1 मिशन सात वैज्ञानिक पेलोड ले जाता है। यह सूर्य का विस्तृत अध्ययन करने के लिए सात अलग-अलग पेलोड ले जाएगा, जिनमें से चार सूर्य से प्रकाश का निरीक्षण करेंगे और अन्य तीन प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र के इन-सीटू मापदंडों को मापेंगे। आदित्य-एल1 पर सबसे बड़ा और तकनीकी रूप से सबसे चुनौतीपूर्ण पेलोड विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ या वीईएलसी है।

वीईएलसी को इसरो के सहयोग से होसाकोटे में भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान के सीआरईएसटी (विज्ञान प्रौद्योगिकी में अनुसंधान और शिक्षा केंद्र) परिसर में एकीकृत, परीक्षण और अंशांकित किया गया था।

अंतरिक्ष यान, 125 दिनों में पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी की यात्रा करने के बाद, लैग्रेंजियन बिंदु एल1 के आसपास एक हेलो कक्षा में स्थापित होने की उम्मीद है जिसे सूर्य के सबसे करीब माना जाता है।

यह रणनीतिक स्थान आदित्य-एल1 को ग्रहण या गुप्त घटना से प्रभावित ना होते हुए लगातार सूर्य का निरीक्षण करने में सक्षम बनाएगा, जिससे वैज्ञानिक वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर उनके प्रभाव का अध्ययन कर सकेंगे।

साथ ही, अंतरिक्ष यान का डेटा उन प्रक्रियाओं के अनुक्रम की पहचान करने में मदद करेगा जो सौर विस्फोट की घटनाओं को जन्म देती हैं और अंतरिक्ष मौसम चालकों की गहरी समझ में योगदान देगी।

बता दें कि मिशन के प्रमुख उद्देश्यों में कोरोनल हीटिंग और सौर पवन त्वरण को समझना, कोरोनल मास इजेक्शन की शुरुआत, और निकट-पृथ्वी अंतरिक्ष मौसम और सौर पवन वितरण को समझना शामिल है।

सूर्य अभियान इसरो के सफल चंद्रमा मिशन, चंद्रयान 3 के ठीक बाद शुरू होने जा रहा है। 23 अगस्त को भारत का चंद्रयान 3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में कामयाब रहा था।

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