मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के मंत्री बनने की संभावना बेहद कम है। सूत्रों का कहना है कि इस बात की पूरी संभावना है कि अरुण जेटली वित्त मंत्रालय में शीर्ष पद को लेकर इस बार कोई दिलचस्पी नहीं दिखाएं, क्योंकि पिछले कुछ महीनों में उनकी सेहत में काफी गिरावट आई है। उनका इलाज कर रहे डॉक्टरों ने उन्हें इलाज के लिए यूके या यूएस जाने की सलाह दी है।
जेटली शुक्रवार को हुई मोदी सरकार के पहले कार्यकाल की आखिरी कैबिनेट मीटिंग में भी शामिल नहीं हो सके। इससे उनकी सेहत ज्यादा बिगड़ने की अटकलें लग रही हैं। 66 साल के जेटली "बहुत कमजोर" हो गए हैं क्योंकि पिछले कुछ हफ्तों में उनका स्वास्थ्य बेहद बिगड़ गया है, सूत्रों ने कहा कि उनके गले में कुछ परेशानी है जो उन्हें लंबे समय तक बोलने से रोकती है। उन्हें इस सप्ताह के शुरू में एम्स में भर्ती कराया गया था और एक अघोषित बीमारी के इलाज और परीक्षण के बाद गुरुवार को छुट्टी दे दी गई थी लेकिन आम चुनावों में पार्टी की जोरदार जीत के बाद उस शाम भाजपा मुख्यालय में समारोह में शामिल नहीं हुए।
सूत्रों ने कहा कि जेटली नई मोदी सरकार में मंत्री पद लेने के इच्छुक नहीं हैं और हो सकता है उन्होंने मोदी को बिना पोर्टफोलियो वाले मंत्री के रूप में कोई पद संभालने की अपनी अनिच्छा से अवगत कराया हो।
जनवरी में हुआ था कैंसर का ऑपरेशन
बता दें कि 66 वर्षीय जेटली का इसी साल जनवरी में कैंसर का ऑपरेशन हुआ था। इसके कारण इस बार एक फरवरी को अंतरिम बजट भी उनकी जगह प्रभारी वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने पेश किया था। जेटली अभी बीते दो सप्ताह से सार्वजनिक रूप से दिखाई भी नहीं दिए हैं। यहां तक कि चुनाव में भाजपा की जीत के बाद गुरुवार शाम मनाए गए विजय समारोह के दौरान भी वे दिखाई नहीं दिए। जबकि भाजपा में उन्हें नरेंद्र मोदी और अमित शाह के बाद तीसरा ताक़तवर नेता तथा सरकार व पार्टी का संकटमोचक माना जाता है।
-एजेंसी इनपुट्स