जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय परिसर में 15 दिसंबर को कथित तौर पर पुलिस के जबरन घुसने के सीसीटीवी फुटेज को लेकर पुलिस और जामिया प्रशासन में ठन गई है। पुलिस ने कहा था कि यह सीसीटीवी फुटेज उन्हें मामले की जांच के लिए चाहिए लेकिन अभी तक उन्हें यह फुटेज नहीं मिल पाई है।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया कि उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से 15 दिसंबर की घटना की सीसीटीवी फुटेज की मांग की थी। उन्होंने बताया, जामिया नगर के थाना प्रभारी फुटेज लेने विश्वविद्यालय परिसर गए भी थे।
छात्र नहीं चाहते कि सीसीटीवी फुटेज पुलिस को दी जाए
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में जमा छात्र नहीं चाहते थे कि सीसीटीवी फुटेज पुलिस को दी जाए साथ ही विश्वविद्यालय प्रशासन भी सीसीटीवी फुटेज पुलिस को सौंपे जाने के पक्ष में नहीं था। इसलिये अधिकारी को खाली हाथ लौटना पड़ा।
अधिकारी ने कहा, "विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ एक बैठक के दौरान, उन्होंने जांच के लिए रिकॉर्डिंग सौंपने के लिए लिखित तौर पर दिया था। अगर रिकॉर्डिंग के साथ कुछ भी होता है, तो यह सबूत को नष्ट करने के तहत आएगा।"
विश्वविद्यालय ने क्या कहा?
जामिया मिलिया इस्लामिया के चीफ प्रॉक्टर वसीम अहमद खान ने कहा, “जब पुलिस ने 15 दिसंबर को जामिया के छात्रों को हिरासत में लिया, तो उन्होंने एक पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसमें यह उल्लेख किया गया था कि सीसीटीवी फुटेज को जांच के लिए पुलिस को मुहैया कराया जाएगा। उन्होंने फुटेज मांगे हैं और हमने कहा कि हम इसके बारे में सोच रहे हैं। एक पुलिस वाला, जो मेरे साथ बैठा था, छात्रों के आते ही चले गए थे।"
उन्होंने कहा कि फुटेज को सौंपने पर बाद में फैसला लिया जाएगा क्योंकि विश्वविद्यालय ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय से मामले में न्यायिक जांच के लिए अनुरोध किया है और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग भी इस मामले को देख रहा है।