तेलंगाना पुलिस द्वारा बलात्कार और हत्या के चार आरोपियों के एनकाउंटर पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबड़े ने टिप्पणी की है। जस्टिस बोबड़े ने कहा, “न्याय कभी त्वरित नहीं हो सकता। बदला लेने पर न्याय अपना चरित्र खो देता है।” हालांकि पुलिस की इस कार्रवाई की कई लोगों ने आलोचना भी की है। लेकिन ज्यादा लोग इसके समर्थन में हैं।
जस्टिस बोबड़े ने यह टिप्पणी राजस्थान हाइ कोर्ट की नई बिल्डिंग के उद्घाटन अवसर पर की। इस कार्यक्रम में कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद भी शामिल थे। उन्होंने देश में घट रही हाल की घटनाओं का संदर्भ देते हुए बताया कि न्याय प्रणाली को आपराधिक मामलों के निपटान में लगने वाले समय के लिए अपनी स्थिति पर पुनर्विचार करना चाहिए।
तेलंगाना पुलिस ने किया था एनकाउंटर
तेलंगाना पुलिस ने महिला पशु चिकित्सक के साथ बलात्कार कर उसकी हत्या करने वाले चारों आरोपियों को मार गिराया। पुलिस का पक्ष है कि सीन रीक्रिएकट करने के लिए अपराधियों को घटनास्थल पर ले गई थी, जहां से उन्होंने भागने की कोशिश की और पुलिस पर हमला किया। चारों ही आरोपी पुलिस की ‘जवाबी कार्रवाई’ में मारे गए।
सिब्बल बोले, ऐसे तो अदालतें अप्रासंगिक हो जाएंगी
हैदराबाद एनकाउंटर पर पक्ष-विपक्ष की बहस जोरों पर है। इसी सिलसिले में कांग्रेस के नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने तेलंगाना मुठभेड़ पर प्रहार करते हुए कहा कि “बर्बर तालिबान शैली का न्याय” अदालतों को अप्रासंगिक बना देगा। सिब्बल ने ट्वीट कर कहा, “तेलंगाना पर खुश होने वालों : उचित कानूनी प्रक्रिया अपनाने की बजाय खून का बदला खून का रास्ता अपनाने और तालिबान शैली वाले न्याय से अदालतें अप्रासंगिक हो जाएंगी।”
हैदराबाद गैंग रेप ने पूरे राष्ट्र को झकझोर दिया था। हर व्यक्ति इस मामले में जल्द से जल्द न्याय चाहता था। राज्य सरकार ने मुकदमे में तेजी लाने के लिए एक विशेष अदालत (फास्ट ट्रैक) गठित करने का भी आदेश दिया था।