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वरिष्ठता पर विवाद के बीच जस्टिस जोसेफ सहित 3 जजों ने ली शपथ, जानिए अहम बातें

सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर लंबे समय से चल रहे विवाद के बीच जस्टिस केएम जोसेफ समेत कुल...
वरिष्ठता पर विवाद के बीच जस्टिस जोसेफ सहित 3 जजों ने ली शपथ, जानिए अहम बातें

सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर लंबे समय से चल रहे विवाद के बीच जस्टिस केएम जोसेफ समेत कुल तीन जजों ने सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में शपथ ली। मंगलवार को सीजेआई दीपक मिश्रा ने अपने अदालत कक्ष में आयोजित समारोह में जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस के एम जोसेफ को पद की शपथ दिलाई।

अब सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या 25 हो गई है जबकि सुप्रीम कोर्ट में जजों के स्वीकृत पद 31 हैं। साथ ही जस्टिस इंदिरा बनर्जी सुप्रीम कोर्ट के 68 साल के इतिहास में आठवीं महिला जज हो गई हैं साथ ही पहली बार ऐसा हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट में एक साथ तीन महिला जज होंगी। जबकि इससे पहले एक समय में अधिकतम दो महिला जज ही सुप्रीम कोर्ट में रही हैं।

इससे पहले सोमवार को कॉलेजियम के सदस्य जस्टिस एमबी लोकुर, एके सीकरी और कुरियन जोसेफ सहित कई जजों की ओर से सीजेआई दीपक मिश्रा के समक्ष वरिष्ठता क्रम को लेकर चिंता जताई गई। जस्टिस रंजन गोगोई को छोड़कर कॉलेजियम के बाकी सदस्यों ने चाय के दौरान सीजेआई से जस्टिस जोसेफ की वरीयता घटाने के केंद्र के फैसले का विरोध किया। सीजेआई ने उन्हें विश्वास दिलाया कि वह मामले को उठाएंगे।

गौरतलब है कि जस्टिस जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट भेजे जाने के निर्णय को लेकर पिछले छह महीने से कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच एक टकराव देखने को मिल रहा था। केंद्र ने जस्टिस जोसेफ के साथ मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस इंदिरा बनर्जी और ओडिशा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के लिए विनीत सरन के नाम की अनुशंसा की फाइल क्लियर कर दी है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के नेतृत्व में कोलेजियम ने 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में जस्टिस जोसेफ के नाम की सिफारिश की थी। इसके दो दिनों बाद ही सुप्रीम कोर्ट में अभूतपूर्व विरोध देखने को मिला था।

12 जनवरी को कोलेजियम के चार अन्य सदस्य जस्टिस चेलमेश्वर, रंजन गोगोई, मदन बी लोकुर और कुरियन जोसेफ ने सीजेआई के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया था। केंद्र ने 30 अप्रैल को जस्टिस जोसेफ पर कोलेजियम की सिफारिश को लौटा दिया था। केंद्र ने अनुभव का मसला उठाते हुए तर्क दिया था कि जस्टिस जोसेफ वरीयता क्रम में देश में 42वें स्थान पर आते हैं। ऐसे में उन्हें सुप्रीम कोर्ट भेजना हाई कोर्ट के दूसरे वरिष्ठ जजों की वैध उम्मीदों के लिहाज से ठीक नहीं होगा।

केंद्र ने यह भी कहा था कि सर्वोच्च न्यायपालिका में एससी/एसटी समुदाय का भी उचित प्रतिनिधित्व नहीं है।

दरअसल, जस्टिस जोसेफ के नाम पर केंद्र की आपत्ति को उनके उत्तराखंड चीफ जस्टिस के तौर पर सूबे में राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले को खारिज करने से जोड़ कर देखा जा रहा था। जस्टिस जोसेफ की पीठ के इस निर्णय के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड में फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया था। इसके बाद कांग्रेस की हरीश रावत सरकार की वापसी हुई थी।

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