मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट आकाश जैन के निर्देश पर केजरीवाल और चारों अन्य आप नेता अदालत में पेश हुए। इससे पहले मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट इस बात से नाराज थे कि आरोपी पिछली सुनवाई के दिन उनके समक्ष पेश नहीं हुए थे। केजरीवाल, सिसोदिया के साथ आप नेता राखी बिड़ला, सोमनाथ भारती और आशुतोष भी अदालत में पेश हुए, वहीं संजय सिंह ने दिल्ली से बाहर होने के आधार पर शुक्रवार को व्यक्तिगत रूप से पेशी से छूट मांगी थी। उनकी अर्जी मंजूर कर ली गई। दिल्ली पुलिस ने पिछले साल रेल भवन के बाहर पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्रदर्शन करने के सिलसिले में आरोपपत्र दाखिल किए थे।
पहले सभी आरोपियों को अदालत ने जमानत दे दी थी। सुनवाई के दौरान केजरीवाल और अन्य आप नेताओं की ओर से वरिष्ठ वकील एच एस फुल्का और आर के वाधवा ने एक आवेदन दाखिल कर कुछ दस्तावेज देने की मांग की जो उन्हें आरोपपत्र के साथ नहीं दिए गए थे। अदालत ने संसद मार्ग के थाना प्रभारी और मामले के जांच अधिकारी को दो सीडी तथा भाषण की पूरी प्रति समेत दस्तावेजों की प्रति देने का निर्देश दिया। अदालत ने आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के संबंध में दलीलों पर सुनवाई के लिए चार अगस्त की तारीख तय की है।
अदालत ने पहले यह कहते हुए नेताओं को अपने समक्ष पेश होने का निर्देश दिया था कि निजी तौर पर पेशी से छूट के लिए कोई न्यायसंगत आधार नहीं है। केजरीवाल और अन्य नेताओं ने कुछ पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए रेलभवन के बाहर धरना दिया था। इन पुलिस वालों ने पिछले साल जनवरी में दिल्ली सरकार के तत्कालीन मंत्री सोमनाथ भारती के कहने पर दक्षिण दिल्ली के एक इलाके में मादक पदार्थों और देहव्यापार में लगे कथित गिरोह पर छापा मारने से इनकार कर दिया था।
सीआरपीसी की धारा 144 के तहत कथित रूप से निषेधाज्ञा तोड़ने और जनसेवकों को उनकी सरकारी जिम्मेदारी अदा करने से रोकने के लिए पुलिस ने छह आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किए थे। पुलिस ने उन पर आईपीसी की अनेक धाराओं के तहत आरोपपत्र दर्ज किए। पुलिस ने आरोपपत्र में दावा किया था कि सहायक पुलिस आयुक्त ने पिछले साल 19 जनवरी को रेलभवन और संसद मार्ग के पास नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, विजय चौक इलाकों में निषेधाज्ञा लागू की थी। इसके अनुसार केजरीवाल और अन्य आप नेता 20 जनवरी, 2014 को निषेधाज्ञा तोड़ते हुए रेलभवन चौक पर जमा हो गए थे।
पुलिस का आरोप है कि निषेधाज्ञा के बारे में बताए जाने पर केजरीवाल ने पुलिसकर्मियों से कहा था कि वह तत्कालीन गृह मंत्री के नॉर्थ ब्लॉक स्थित दफ्तर अपनी कार में जाएंगे और उन्होंने यह शर्त भी लगाई थी कि उनके समर्थक और मीडियाकर्मी उनके साथ जाएंगे। आरोपपत्र में दावा किया गया है कि केजरीवाल, सिसोदिया और अन्य आप नेताओं ने 250-300 समर्थकों के साथ आदेश की अवहेलना की और तत्कालीन गृह मंत्री के दफ्तर की ओर बढ़ना शुरू कर दिया। जब पुलिस अधिकारियों ने उन्हें बैरीकेड लगाकर रोकने की कोशिश की तो नेताओं ने अपने समर्थकों को उकसाया जिन्होंने पुलिसकर्मियों के साथ हाथापाई की। पुलिस के मुताबिक फिर केजरीवाल और उनके समर्थक निषेधाज्ञा को तोड़ते हुए चौक पर धरने पर बैठ गए।