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जानिए, क्या है इजराइली स्पाईवेयर पेगासस जो वाट्सएप को भी कर लेता है हैक

इजरायल की सर्विलांस कंपनी एनएसओ ग्रुप का स्पाइवेयर- पेगासस एक बार फिर सुर्खियों में है। दरअसल,...
जानिए, क्या है इजराइली स्पाईवेयर पेगासस जो वाट्सएप को भी कर लेता है हैक

इजरायल की सर्विलांस कंपनी एनएसओ ग्रुप का स्पाइवेयर- पेगासस एक बार फिर सुर्खियों में है। दरअसल, फोर्बिडन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने दावा किया है कि विश्व भर की 10 सरकारें अपने लोगों की जासूसी करा रही हैं। इसको पेगासस प्रोजेक्ट नाम दिया गया है। रडार पर 1571 लोग थे, मगर अभी स्पष्ट नहीं है कि सबकी जासूसी हुई। इस सूची में 40 नाम भारतीय पत्रकारों के हैं। हालांकि भारत सरकार ने आरोपों से इंकार किया है।

बता दें कि ये पहली बार नहीं है जब इजरायली स्पाइवेयर पेगासस पर नेताओं, पत्रकारों की जासूसी का आरोप लगा है। इससे पहले भी ऐसे दावे सामने आए थे। आइए, जानते हैं क्या है पेगासस?

दरअसल, पेगासस स्पाइवेयर को इजरायल की साइबरसिक्योरिटी कंपनी एनएसओ ग्रुप ने तैयार किया है। शाल्व हुलिओ और ओमरी लेवी ने वर्ष 2008 में इस कंपनी की शुरुआत की थी।

पेगासस स्पाइवेयर के माध्यम से हैकर को स्मार्टफोन के माइक्रोफोन, कैमरा, मैसेज, ईमेल, पासवर्ड, और लोकेशन जैसे डेटा का एक्सेस मिल जाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, पेगासस आपको एन्क्रिप्टेड ऑडियो स्ट्रीम सुनने और एन्क्रिप्टेड मौसेज को पढ़ने की इजाजत देता है। यानी हैकर के पास आपके फोन की करीब सभी फीचर तक पहुंच होती है।

एमएसओ ग्रुप के अनुसार, इस प्रोग्राम को सिर्फ सरकारी एजेंसियों को बेचा गया है। उनका दावा है कि इसका उद्देश्य आतंकवाद और अपराध के विरुद्ध लड़ना है। कंपनी की वेबसाइट पर लिखा है, "एनएसओ ऐसी तकनीक बनाता है जो सरकारी एजेंसियों की आतंकवाद और अपराध को रोकने और जांच करने, और विश्व भर में हजारों जिंदगियां बचाने में सहायता करती है।" हालांकि, कई देशों में लोगों पर जासूसी करने के लिए इसका दुरुपयोग करने के आरोप लगते रहे हैं।

इस तरह किया जाता है हैक

हैकर को जिस फोन को हैक करना है उस फोन में केवल वाट्सएप कॉल करना होता है। कॉल रिसीव करने वाले को कॉल का उत्तर देने की भी आवश्यकता नहीं होती है और उस फोन में वायरस आ जाता है। वहीं ईमेल और टेक्स्ट मैसेज के जरिए भी पैगेसस को किसी के फोन में डाला जा सकता है।

ये एंड्रॉइड और आईओएस दोनों को प्रभावित करता है। फोन में इसका पता लगाना काफी कठिन है।

रिपोर्ट्स के अनुसार , पेगासस का पता सबसे पहले 2016 में यूनाइटेड अरब एमीरेट्स के मानवाधिकार कार्यकर्ता अहमद मंसूर से चला था, जो इसके शिकार में से एक थे। उन्हें अपने फोन में कई एसएमएस मिले थे, जिसे लेकर उनका कहना था कि इसमें गलत लिंक थे। वो फिर अपने फोन को सिटीजन लैब के साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स के पास ले गए, जिन्होंने एक अन्य साइबर सुरक्षा फर्म लुकआउट की सहायता से ये स्पाइवेयर पाया। बाद में पता चला कि ये पेगासस था।

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