ग्रीनपीस इंडिया की प्रिया पिल्लई ने कहा, “हमें विश्वास था कि कोर्ट इस बात से सहमत होगा कि ग्रीनपीस इंडिया कानूनी रूप से सही है और किसी भी तरह के गैर-कानूनी काम में शामिल नहीं रहा है। हमारे खाते एक खुली किताब की तरह हैं और हमारे बेवसाइट पर इसके सारे विवरण को देखा जा सकता है। गृहमंत्रालय द्वारा लगातार अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने की कोशिश से राष्ट्रीय और अंतरर्राष्ट्रीय स्तर पर सरकार की साख को नुकसान पहुंच रहा है”।
मद्रास हाईकोर्ट में ग्रीनपीस इंडिया सोसाइटी की तरफ से वकील विनीत सुब्रमणि का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ वकील पीएम रमन ने बिना फीस लिये किया। पीएस. रमन ने कहा कि वह खुश हैं कि माननीय न्यायालय ने बिना किसी शर्त के रजिस्ट्रेशन रद्द करने के निर्णय पर रोक लगा दिया है।
लगातार चुनौतियों का सामना करने के बावजूद ग्रीनपीस ने स्वच्छ वायु, स्वच्छ पानी और साफ ऊर्जा के लिये अपने अभियानों को जारी रखा है। ग्रीनपीस ने हाल ही में वायु गुणवत्ता जाँचने के लिये एंड्रायड पर ‘क्लीन एयर नेशन’ नाम से एक मोबाईल एप शुरू किया है, जिससे देश भर में लोगों को वायु प्रदुषण से बचने के लिये एहतियाती कदम बरतने की सलाह दी जाती है। (2) एनजीओ ने सरकार की सोलर नीतियों को अपना समर्थन दिया है और विश्व व्यापार संगठन में अमीरकी सरकार द्वारा भारतीय घरेलू सोलर नीतियों की आलोचना का विरोध भी किया है। (3) हाल ही में ग्रीनपीस ने सरसो में जीएम का विरोध करते हुए पारंपरिक सरसो बीज को अपना समर्थन भी दिया है।
इसपर प्रतिक्रिया देते हुए प्रिया कहती है, “इस तरह की जीत से हम और मजबूत होते हैं। यह जीत बेहतर पर्यावरण और शांतिमय भविष्य के लिये हमारे द्वारा किये गए कामों को साबित करता है और इससे ग्रीनपीस लाखों भारतीय समर्थकों की उम्मीदों पर खरा उतररता है। एक जनता के समर्थन से चलने वाले संगठन के रूप में हम कानूनी लड़ाई लड़ने और जीतने से ज्यादा इस बात पर ध्यान देना चाहेंगे कि कैसे भारत के विकास में उपस्थित चुनौतियों का सामना किया जाय और वायु प्रदुषण, जंगलों की कमी, सुरक्षित भोजन की जरुरत और सबके लिये स्वच्छ बिजली की जरुरतों को पूरा करने जैसी समस्याओं का हल खोजा जाय। इन समस्याओं का समाधान खोजना सरकार के कार्यसूची में भी शामिल है। हम एक बार फिर सरकार से कहना चाहेंगे कि इन मुद्दों पर वे सिविल सोसाइटी से लड़ने की बजाय उनके साथ काम करे”।