मद्रास हाईकोर्ट ने ग्रीनपीस इंडिया के रजिस्ट्रेशन रद्द करने के सरकार के फैसले पर रोक लगा दिया है। कोर्ट ने माना कि तमिलनाडू रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटी ने प्राकृतिक न्याय के सिंद्धातों का पालन नहीं किया है। पिछले साल से अबतक यह छठी बार है जब ग्रीनपीस और उसके कार्यकर्ता को फंडिग रोके जाने या बंद किये जाने की कोशिशों के खिलाफ कानूनी जीत मिली है। (1) माननीय न्यायालय ने लगातार ग्रीनपीस इंडिया के पक्ष में फैसला दिया है।
ग्रीनपीस इंडिया को तमिलनाडु सरकार के रजिस्ट्रार (संगठन) ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। नोटिस के जरिये इस संस्था के परिचालन और वित्तपोषण पर सवाल उठने के कारण संस्था का पंजीकरण रद्द करने की धमकी दी गई है।
ग्रीनपीस इंडिया ने दावा किया कि उसके अंतरराष्ट्रीय स्टाफ के एक सदस्य को वैध दस्तावेज होने के बावजूद भारत में प्रवेश की इजाजत नहीं मिली। एनजीओ के अनुसार, ग्रीनपीस इंटरनेशनल के एक सदस्य एरन गैरी ब्लाक यहां के कर्मचारियों के साथ बैठक के लिए शनिवार को सिडनी से विमान से चले। वह आस्ट्रेलिया के पासपोर्ट पर सफर कर रहे थे। लेकिन उन्हें भारत में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई।
पर्यावरण से जुड़ी अंतरराष्ट्रीय संस्था ग्रीनपीस इंडिया को दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। संस्था के दो खातों पर लगी रोक हट गई है। दिल्ली हाईकोर्ट ने संस्था को इन खातों के जरिए घरेलू चंदा लेने और इनके इस्तेमाल की छूट दी है।
बैंक खातों पर रोक और रजिस्ट्रेशन निलंबन के खिलाफ हाईकोर्ट ने ग्रीनपीस इंडिया की याचिका मंजूर कर ली है। इस मामले में हाईकोर्ट ने गृह मंत्रालय और कई बैंकों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है।
ग्रीनपीस इंडिया की कार्यकर्ता प्रिया पिल्लई के पासपोर्ट से आधिकारिक तौर पर ऑफलोड मुहर को हटा ली गई है। इसके साथ ही खुफिया ब्यूरो द्वारा जारी विवादास्पद ‘लूक आउट सर्कुलर’की कार्रवाई के बाद पिछले चार महीनों से जारी घटनाक्रम पर विराम लग गया है।
केंद्र सरकार और गैर सरकारी संस्थाओं के बीच खाई बढ़ती जा रही है। हाल ही में सरकार ने विदेशी चंदा हासिल कर रहे गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) पर कड़ी कार्रवाई करते हुए लगभग 9,000 एनजीओ के लाइसेंस रद्द कर दिए।