नई दिल्ली। गैरसरकारी संस्था ग्रीनपीस इंडिया को राहत प्रदान करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने उसे दो खातों के इस्तेमाल की छूट दे दी है। इन खातों का इस्तेमाल ग्रीनपीस घरेलू चंदा प्राप्त करने और अपने रोजमर्रा के खर्च चलाने के लिए कर सकती है। अदालत ने सरकार से कहा है कि संस्था के धन को लेकर उसका गला नहीं घोंटा जा सकता है।
न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने यह कहते हुए इस संगठन को अपनी मियादी जमा का इस्तेमाल करने की भी अनुमति दी कि इसका और ताजे चंदे का उपयोग निश्चित लक्ष्यों एवं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया जाए और एेसा करते हुए नियम-कानूनों का पूरी तरह पालन किया जाएगा। न्यायमूर्ति शकधर ने सरकार को ग्रीनपीस के आवेदन पर विदेशी चंदा विनियमन नियमावली यानी एफसीआरआर के नियम 14 के तहत सरकार को आठ सप्ताह में निर्णय लेने का निर्देश है। इन नियमों के अनुसार एफसीआरए खाते की अनप्रयुक्त रकम का 25 फीसदी हिस्सा सरकार की मंजूरी से इस्तेमाल किया जा सकता है।
गौरतलब है कि गत 9 अप्रैल को सरकार ने एफसीआरए के तहत ग्रीनपीस का पंजीकरण इस आधार पर रद्द कर दिया था कि उसने संबंधित प्राधिकारों को सूचित किए बगैर ही विदेशी चंदे का इस्तेमाल किया अौर पांच खाते खोलकर नियमों का उल्लंघन किया है। इसके अलावा ग्रीनपीस पर आयकर विभाग का शिकंजा भी कस रहा है। पर्यावरण पर सक्रिय एक संगठन के खातों पर रोक को लेकर सरकार की काफी आलोचना हुई। इसे केंद्र सरकार के गैर-सरकारी संगठनों पर अंकुश लगाने के कदम के तौर पर देखा जा रहा है।